CG ब्रेकिंग: नक्सली निकला स्कूल में कार्यरत सहायक रसोईया! इनकाउंटर में मारा गया, 1 लाख का इनामी, शिक्षा विभाग से मिल रहा था मानदेय

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में माओवादी विरोधी अभियान के दौरान बड़ा खुलासा हुआ है। इनकाउंटर में मारे गए सात नक्सलियों में से एक व्यक्ति सरकारी स्कूल में सहायक रसोईया के रूप में कार्यरत था। उसका नाम महेश कोडियाम था और उस पर 1 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

सरकारी स्कूल में मिड-डे मील बना रहा था इनामी नक्सली!

बीजापुर जिले के फरसेगढ़ थाना क्षेत्र के इरपागुट्टा गांव का निवासी महेश कोडियाम नक्सली संगठन में सक्रिय था। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि वह अपने गांव के प्राथमिक शाला में सहायक रसोइया के तौर पर भी कार्यरत था।
मार्च 2025 तक उसे शिक्षा विभाग से नियमित मानदेय भी मिलता रहा।

मुठभेड़ में मारे गए 7 नक्सली, दो थे हाई-प्रोफाइल इनामी

4 से 7 जून 2025 तक इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में चले संयुक्त नक्सल विरोधी ऑपरेशन में बड़ी सफलता मिली।
इस अभियान में मारे गए माओवादियों में शामिल थे:

  • सुधाकर उर्फ नरसिंह चालम – केंद्रीय समिति सदस्य, ₹40 लाख इनामी

  • भास्कर उर्फ मेलारापु अडेलु – तेलंगाना राज्य समिति सदस्य, ₹45 लाख इनामी

  • महेश कोडियाम – 1 लाख रुपये का इनामी, स्कूल में रसोईया

ग्रामीणों का दावा – महेश निर्दोष, सिर्फ मिड-डे मील बनाने वाला

महेश के गांव इरपागुट्टा के ग्रामीणों ने मीडिया से बातचीत में बताया कि महेश का माओवाद से कोई सीधा संबंध नहीं था।
उनके मुताबिक:

  • महेश स्कूल में खाना बनाने का काम करता था

  • उसका परिवार बड़ा है – पत्नी और सात बच्चे

  • वह सिर्फ रोजगार के लिए रसोईये की नौकरी करता था

पुलिस ने शुरू की जांच, नक्सल नेटवर्क से संबंध की तलाश

बीजापुर पुलिस का कहना है कि अब इस बात की गहन जांच की जा रही है कि महेश शीर्ष माओवादियों सुधाकर और भास्कर के संपर्क में कैसे आया।
पुलिस का बयान:

“प्रारंभिक जानकारी के आधार पर सभी एंगल से निष्पक्ष जांच की जा रही है।”

स्कूल में नक्सली की नियुक्ति – प्रशासन की चूक?

इस खुलासे के बाद प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं।

  • स्कूल प्रबंधन समिति की नियुक्ति प्रक्रिया

  • पृष्ठभूमि सत्यापन (Background Verification)

  • शिक्षा विभाग की निगरानी प्रणाली

यदि महेश सच में नक्सली था, तो यह गंभीर प्रशासनिक चूक है और सुरक्षा में एक बड़ी खामी को उजागर करता है।

ये मामला क्यों है अहम?

  • नक्सलवाद और सरकारी तंत्र के बीच की खामियों को उजागर करता है

  • गांवों में सुरक्षा और नियुक्ति प्रक्रिया की पोल खोलता है

  • भविष्य में पृष्ठभूमि सत्यापन की अनिवार्यता को रेखांकित करता है

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