
छतरपुर में अब भी जीवित है यह लोक मान्यता
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में आज भी उल्लू (Owl) को लेकर एक अनोखी मान्यता लोगों के बीच प्रचलित है। यहां का मानना है कि यदि घर में उल्लू आ जाए तो वह बच्चों के कपड़े चोरी कर कुएं, नदी या तालाब में फेंक देता है, जिससे बच्चे बीमार पड़ जाते हैं।
माताएं क्यों छुपाती हैं बच्चों को उल्लू से?
बुजुर्गों का कहना है कि 1 से 2 साल के छोटे बच्चे, या जिनका अभी मुंडन संस्कार नहीं हुआ है, उन्हें खासतौर पर उल्लू की नजर से बचाकर रखा जाता है।
गांवों में माताएं मानती हैं कि उल्लू बच्चों की चीजें उठाकर ले जाता है और पानी में फेंक देता है, जिससे बच्चे बीमारी का शिकार हो जाते हैं।

तांत्रिक क्रियाओं में होता है उल्लू का इस्तेमाल
स्थानीय लोगों का मानना है कि उल्लू सिर्फ एक साधारण पक्षी नहीं है, बल्कि कई तांत्रिक क्रियाओं में भी इसका उपयोग किया जाता है।
कहा जाता है कि कुछ लोग उल्लू की मदद से काला जादू या दुश्मन पर तंत्र-मंत्र करने की कोशिश करते हैं। यही वजह है कि ग्रामीण महिलाएं अपने बच्चों को उल्लू से दूर रखती हैं।
बच्चों के कपड़े और खिलौनों को भी रखते हैं सुरक्षित
गांवों में आज भी यह परंपरा है कि रात में छत या आंगन में बच्चों के कपड़े नहीं सुखाए जाते।
लोगों का कहना है कि उल्लू सिर्फ कपड़े ही नहीं बल्कि बच्चों के खिलौने या कोई भी सामान उठाकर ले जाता है और उसे पानी में फेंक देता है।
लोक मान्यता या अंधविश्वास?
यह मान्यता बुंदेलखंड और आसपास के इलाकों में आज भी प्रचलित है।
हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक अंधविश्वास माना जाता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में उल्लू को अब भी रहस्यमयी और तांत्रिक शक्तियों से जुड़ा पक्षी समझा जाता है।
