भिलाई [न्यूज़ टी 20] गुजरात विधानसभा चुनाव में बमुश्किल कुछ ही वक्त बचा है, चुनाव अब नजदीक है। सभी पार्टियां वोटर्स को साधने के लिए अलग-अलग रणनीति पर काम कर रही हैं। 27 साल से गुजरात की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जहां एक तरफ अपने कोर वोटर्स को एकजुट रखने की कोशिश में जुटी है तो दूसरी तरफ अल्पसंख्यक वोटर्स को भी अपने पाले में लाने के लिए रणनीति पर काम कर रही है।

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने मुसलमानों को कनेक्ट करने के लिए उन सभी विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 100 ‘अल्पसंख्यक मित्र’ बनाए हैं, जहां मुस्लिमों की आबादी अधिक है। पार्टी के माइनॉरिटी सेल के प्रमुख जमाल सिद्दकी ने रविवार को कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय खासकर मुस्लिम समाज से भी लोगों को बूथ किटी में रखा जाएगा।

सिद्दकी ने कहा, ”बीजेपी माइनॉरिटी सेल ने कम से कम 100 ऐसे मुस्लमानों को जोड़ने का अभियान शुरू किया है, जो गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि से हैं और पार्टी के प्रति सहानुभूति रखते हैं। वे धार्मिक गुरु हो सकते हैं, पेशेवर या उद्यमी हो सकते हैं उन्होंने कहा कि ऐसे सभी अल्पसंख्यक मित्र से आसपास से 50 मुस्लिम वोट बीजेपी के लिए सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी दी जाएगी।  सिद्दकी ने आगे बताया कि उन सभी 125 विधानसभा सीटों पर बूथ कमिटी में अल्पसंख्यक सेल को शामिल किया जाएगा, जहां मुस्लिमों की आबादी 25 हजार से 1 लाख वोटर्स तक की है।

बीजेपी ने मुसलमानों को साथ जोड़ने का अभियान ऐसे समय पर चलाया है जब 2002 गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार हुई बिलकिस बानो के दोषियों को रिहाई को लेकर भाजपा सरकार विपक्ष के निशाने पर है।इसको लेकर किए गए सवाल के जवाब में सिद्दकी ने अपनी पार्टी की सरकार का बचाव करते हुए कहा कि हाई कोर्ट के निर्देश पर एक कमिटी का गठन किया गया था, जिसने रिहाई का आदेश दिया। 2002 दंगों को लेकर सिद्दकी कहते हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और लोग अब आगे बढ़ चुके हैं। उन्होंने कहा, ”2002 में दंगे हुए, यह दुर्भाग्यपूर्ण था। यह अब इतिहास है, लोग आगे बढ़ चुके हैं। लोगों ने देखा है कि पीएम नरेंद्र मोदी जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते हैं।चाहे धार्मिक विश्वास जो भी हो, हर किसी को सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है।” 2011 जनगणना के मुताबिक, गुजरात में मुस्लिम सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है, जिनकी आबादी में 9.65 फीसदी हिस्सेदारी है।

हालांकि, 2017 विधानसभा चुनाव में सिर्फ 3 मुस्लिम उम्मीदवार जीत पाए थे, जो सभी कांग्रेस से थे। कांग्रेस ने 5 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया था। बीजेपी ने किसी भी मुस्लिम को अपना प्रत्याशी नहीं बनाया था।

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *