
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट, बिलासपुर ने एक अहम फैसला सुनाते हुए नगरीय प्रशासन विभाग के स्थानांतरण आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि एक नगर निगम के अधिकारी को दूसरे नगर निगम में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता, जब तक वह प्रतिनियुक्ति या ग्रहणाधिकार के दायरे में न आता हो। यह निर्णय नगर निगम अधिनियम 1956 की धारा 58(5) और 58(6) के आधार पर लिया गया है।
याचिका का मुख्य मामला

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असिस्टेंट इंजीनियर अनुराग शर्मा ने रायपुर से रायगढ़ नगर निगम में ट्रांसफर के खिलाफ याचिका दायर की थी।
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अनुराग को 2006 में बिरगांव नगर पालिका परिषद में नियुक्त किया गया था।
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2014 में बिरगांव को नगर निगम घोषित किया गया और बाद में उन्हें रायपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में अटैच किया गया था।
याचिकाकर्ता की दलीलें
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याचिकाकर्ता ने माता की बीमारी और रायपुर से रायगढ़ की दूरी को मानवीय आधार बनाया।
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उन्होंने नगर निगम अधिनियम 1956 की धारा 58(5) और 58(6) का हवाला देते हुए ट्रांसफर को अवैध बताया।
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अधिनियम के अनुसार, बिना संबंधित अधिकारी और नगर निगम की सहमति के ट्रांसफर अवैध है।
राज्य शासन का पक्ष
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शासन ने दावा किया कि अधिनियम की धारा 58(5) राज्य सरकार को ऐसा ट्रांसफर करने का अधिकार देती है।
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साथ ही धारा 58(6) वेतन व भत्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
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लेकिन कोर्ट ने इसे कानून की सही व्याख्या नहीं माना।
हाई कोर्ट का अंतिम फैसला
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कोर्ट ने कहा कि यह ट्रांसफर न प्रतिनियुक्ति के अंतर्गत आता है और न ग्रहणाधिकार के अंतर्गत।
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इस आधार पर, स्थानांतरण आदेश को कानून के अनुरूप नहीं माना जा सकता।
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हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला देते हुए स्थानांतरण आदेश को रद्द कर दिया।
