भिखारी बन गई ‘बाजार’: सरकार की योजनाओं की राशि हड़प रहे अधिकारी, सड़कों पर बढ़ रही भीख और गिरोहबाजी

25 साल में भिखारियों की संख्या में 10 गुना बढ़ोतरी

रायपुर छत्तीसगढ़ सहित पूरे भारत में भिखारियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। पिछले 25 वर्षों में इनकी संख्या में दस गुना तक इजाफा हुआ है। ये भिखारी अब सिर्फ मजबूरी का नहीं, बल्कि एक संगठित धंधे का हिस्सा बनते जा रहे हैं।

योजनाओं की रकम अधिकारी खा गए, भिक्षावृत्ति और बढ़ गई

सरकार की ओर से भिखारियों के पुनर्वास के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ जमीन पर दिखाई नहीं देता। आरोप है कि इन योजनाओं की राशि कई बार अधिकारियों द्वारा हड़प ली जाती है, और योजनाएं केवल कागजों में सजी रहती हैं

सिग्नलों और चौक-चौराहों पर ‘ठेके’ से बैठाए जाते हैं भिखारी

राजधानी रायपुर के 15 प्रमुख चौक-चौराहों और सिग्नलों पर ठेकेदारी प्रणाली से भिखारियों को बिठाया जाता है। हर स्पॉट का एक रेट फिक्स होता है, जहां घुमंतु जातियों के गिरोह सक्रिय रहते हैं। ये गिरोह चोरी और लूटपाट की घटनाओं को भीख की आड़ में अंजाम देते हैं।

चोरी और लूट के लिए ‘भिखारी’ बने चोर

सरकंडा (बिलासपुर) की घटना इसका उदाहरण है, जहां कुछ महिलाएं और बच्चे भिखारी के वेश में एक ज्वेलरी दुकान में घुसे और 6 लाख रुपए से भरा बैग चुरा कर फरार हो गए। बाद में पुलिस ने उन्हें ट्रेन से ओडिशा भागते हुए गिरफ्तार किया।

जय स्तंभ में गिरोह का भंडाफोड़: अंगूठी चुराकर भागे थे ‘भिखारी’

रायपुर के जय स्तंभ चौक पर पुलिस ने ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया, जो सिग्नलों पर भीख मांगने के बहाने स्नैचिंग करता था। गिरोह के तीन सदस्यों से चोरी की अंगूठी बरामद की गई।

समाजसेवियों का कहना – पॉलिसी है, क्रियान्वयन नहीं

एडवोकेट प्रियंका शुक्ला का कहना है कि सरकार के पास भिक्षावृत्ति रोकने की कोई ठोस नीति नहीं है। नीतियां बनी जरूर हैं, लेकिन उनका सख्त क्रियान्वयन न होने से यह समस्या जस की तस बनी हुई है।

मुफ्त की आदत बना रही अकर्मण्य

समाजसेवी अनिल तिवारी ने कहा कि सरकारी फ्री योजनाओं ने काम करने की प्रवृत्ति को खत्म कर दिया है। लोग मेहनत की बजाय मुफ्त राशन और पेंशन पर निर्भर होते जा रहे हैं, जिससे भिक्षावृत्ति को बढ़ावा मिल रहा है।

सभी भिखारी अपराधी नहीं, पर भिखारी की आड़ में अपराध जरूर

स्थानीय नागरिक प्रवीण तिवारी कहते हैं कि हर भिखारी चोर नहीं है, लेकिन कुछ अपराधी जरूर भिखारी का वेश धारण कर रहे हैं। इसलिए सामाजिक विवेक से पहचान करना जरूरी है।

राजधानी में ‘भिखारी स्पॉट्स’ की होती है नीलामी

रायपुर के रिंग रोड, जय स्तंभ, कोतवाली चौक, शारदा चौक, वीआईपी रोड जैसे स्थानों पर स्पॉट बेच दिए जाते हैं, जहां ठेके के आधार पर भिखारी बैठाए जाते हैं। ये गतिविधियां संगठित और योजनाबद्ध अपराध की ओर इशारा करती हैं

जरूरत है ठोस नीति और सख्त कार्रवाई की

अगर भारत को भिक्षावृत्ति मुक्त और आत्मनिर्भर बनाना है, तो राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर एक प्रभावी पॉलिसी लागू करनी होगी, और उसका सख्त क्रियान्वयन भी सुनिश्चित करना होगा।

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *