दुर्ग / यदि आप शिक्षा का अधिकार कानून यानि आरटीई एक्ट के तहत अपने बच्चे को स्कूल में दाखिला दिलाना चाहते हैं तो जल्दी करें। आपके पास मात्र दो दिन ही शेष बचा है। इसके लिए 10 अप्रैल तक ऑनलाइन आवेदन किए जाएंगे। इसके बाद 11 अप्रैल से दस्तावेजों की जांच शुरू की जाएगी। आपको बता दें कि जिले के 515 स्कूलों में आरटीई की 4920 सीटें हैं। इन सीटों में एडमिशन के लिए 10 अप्रैल तक ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे।
11 अप्रैल से 11 मई तक नोडल अधिकारी आवेदनकर्ताओं के दस्तावेजों की जांच करेंगे। इसके बाद 15 मई से 25 मई तक लॉटरी व सीटों का आवंटन होगा। स्कूलों में दाखिला की बात करें तो ये 16 जून से 20 जून तक होगा। दूसरे चरण का पंजीयन 1 जुलाई से 15 जुलाई तक होगा। दस्तावेजों की जांच 16 जुलाई से 25 जुलाई तक, लॉटरी एवं आवंटन 27 जुलाई से 2 अगस्त तक और दाखिला 3 अगस्त से 14 अगस्त तक होगा।
आरटीई के तहत 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित
इस बार स्कूलों में दर्ज संख्या के आधार पर 25 फीसदी सीटें सुरक्षित रखी गई हैं। इस वजह से सीटों की संख्या पहले कम हो गई है। इसके साथ ही साल 2019 के बाद से कई स्कूल बंद भी हो गए हैं। शिक्षा सत्र 2023-24 में शिक्षा का अधिकार के तहत जिले के 515 स्कूलों में मात्र 4920 सीटें ही बची हैं। इससे पहले शिक्षा सत्र 2022-23 में स्कूलों की संख्या 528 और सीटों की संख्या 5728 थी। इस बार 808 सीटें कम हो गई हैं।
स्कूल के आसपास के बच्चों को दी जाएगी प्राथमिकता
यदि आप आरटीई के तहत निजी विद्यालयों में एडमिशन लेना चाहते हैं तो आपको उस स्कूल के पास ही निवास करने वाला होना चाहिए। प्रवेश के समय शहरी क्षेत्रों में विद्यालय से संबंधित वार्ड व ग्रामीण क्षेत्रों में संबंधित गांव के बालक बालिकाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। शहरी निकाय, ग्राम पंचायत से बाहर रहने वाले छात्र उस स्कूल में प्रवेश के पात्र नहीं होंगे। इसी आधार पर प्रवेश दिया जाएगा।
नामचीन स्कूलों को अभिभावकों ने दी है प्राथमिकता
हर साल की तरह इस बार भी अभिभावकों ने जिले में संचालित नामचीन निजी स्कूलों को प्राथमिकता दी है। अभी तक करीब 6 हजार से अधिक आवेदन आए हैं। जिले में खुले स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के खुलने की वजह से इस बार पिछली बार की तुलना में आवेदन कम आए हैं। पिछले शिक्षा सत्र में 10 हजार से अधिक आवेदन आए थे। वैसे उम्मीद की जा रही है कि बचे हुए दो दिनों में और आवेदन आएंगे। इसकी वजह से पिछले साल जितनी संख्या थी, उसी के अनुरूप आवेदन आ सकते हैं।