
दुर्ग। वर्ष 2025 की तेज गर्मी और लू को देखते हुए छत्तीसगढ़ शासन ने विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य केंद्रों सहित विभिन्न विभागों को जागरूकता बढ़ाने और त्वरित उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
लू के लक्षण: इन्हें नजरअंदाज न करें

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सिर दर्द और भारीपन
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तेज बुखार और मुंह सूखना
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चक्कर आना और उल्टी होना
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शरीर में कमजोरी और दर्द
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पसीना नहीं आना और अत्यधिक प्यास लगना
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पेशाब कम आना और भूख में कमी
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बेहोशी की स्थिति
लू से बचाव के लिए जरूरी उपाय
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अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें।
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सिर और कानों को कपड़े से ढककर ही धूप में जाएं।
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खूब पानी पीएं और नरम सूती कपड़े पहनें।
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धूप में ज्यादा समय बिताने से बचें।
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अत्यधिक पसीने की स्थिति में ओआरएस घोल का सेवन करें।
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हल्का, मुलायम और हल्के रंग का कपड़ा पहनना फायदेमंद है।
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गर्मी के दौरान छायादार स्थानों पर रहें और फलों का रस, लस्सी, मठा का सेवन करें।
लू लगने पर प्रारंभिक उपचार क्या करें?
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पीड़ित के सिर पर ठंडे पानी की पट्टी रखें।
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अधिक से अधिक पानी और पेय पदार्थ पिलाएं।
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पीड़ित को पंखे के नीचे आराम दें और ठंडे पानी का छिड़काव करें।
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जल्द से जल्द निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराएं।
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मितानिन और एएनएम से ओआरएस पैकेट प्राप्त करें।
क्या करें: जरूरी सावधानियां
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पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, चाहे प्यास न भी लगे।
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हल्के, ढीले और सूती कपड़े पहनें।
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ओआरएस घोल, नींबू पानी, छाछ, चावल का पानी (तोरानी) का सेवन करें।
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बाहर निकलते समय सिर और चेहरे को ढकें।
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शरीर को हाइड्रेटेड रखें और बार-बार आराम करें।
क्या न करें: बचाव के लिए ध्यान दें
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तेज धूप में नंगे सिर बाहर न जाएं।
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दोपहर 12 से 3 बजे के बीच बाहर निकलने से बचें।
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शराब, चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड पेय न पिएं।
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भारी, मसालेदार और बासी भोजन से परहेज करें।
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बीमारी की स्थिति में धूप में बाहर न जाएं।
अन्य महत्वपूर्ण सावधानियां
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घर को ठंडा रखें, दिन में पर्दे और शटर का उपयोग करें।
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निचली मंजिलों पर रहना बेहतर रहेगा।
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पंखे का उपयोग करें और ठंडे पानी से स्नान करें।
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जानवरों को छाया में रखें और उन्हें भरपूर पानी पिलाएं।
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किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
