आपने एक गाना जरूर सुना होगा, गंदा है पर धंधा है ये! लोग शौक से ज्यादा मजबूरी में कोई ऐसा काम चुन लेते हैं जिसके बारे में दूसरे जानकर हैरान हो जाते हैं. ऐसा ही काम एक ब्रिटेन की महिला करती है. ये महिला एक एस्कॉर्ट है. गलत काम कर के वो घर चलाती है मगर हैरानी इस बात की है कि अपनी जवान बेटी से उसने कुछ भी राज नहीं रखा है.

उसने सब कुछ बेटी को बताया हुआ है. यही नहीं, वो खुद को रोल मॉडल मानती है मगर इस वजह से लोग उसे ट्रोल करते हैं. समाज अक्सर पेशे और मदरहुड को दो बिल्कुल अलग परिभाषाओं में देखता है लेकिन ब्रिटेन की रहने वाली 33 वर्षीय एलिज़ाबेथ रोमानोवा ने इन दोनों को एक साथ जीकर यह दिखाया है कि जीवन की कठिन परिस्थितियों में लिए गए फैसले केवल जीविका का साधन नहीं, बल्कि पहचान भी बन जाते हैं.

रोमानोवा पिछले दस वर्षों से एस्कॉर्ट के रूप में काम कर रही हैं. साथ ही वह एक 15 वर्षीय बेटी की सिंगल मदर भी हैं. आमतौर पर लोग ऐसे पेशे को बच्चों और परिवार से छुपाकर रखते हैं लेकिन रोमानोवा ने साफ़ कहा है कि उनकी बेटी जानती है कि उनकी मां क्या करती है. उनका मानना है कि पारिवारिक रिश्तों की बुनियाद ईमानदारी और विश्वास पर टिकी होती है.

उन्होंने कहा- “मैं अपनी बेटी को खुले विचारों वाली, करुणाशील और सभी तरह के लोगों को स्वीकार करने वाली इंसान बनाना चाहती हूं. अगर मैं अपनी नौकरी को उससे छुपाऊंगी, तो वह उन मूल्यों के खिलाफ होगा, जिन्हें मैं उसे सिखाना चाहती हूं.”

मुश्किल हालात से मिली राह

रोमानोवा ने मात्र 18 साल की उम्र में एस्कॉर्ट का पेशा अपनाया. उस समय वह स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ अपनी छोटी बच्ची की परवरिश कर रही थीं. अकेले मां होने के कारण आर्थिक बोझ बहुत भारी था. ऐसे में एस्कॉर्ट का काम उन्हें लचीलापन और पर्याप्त आय देता था.

वह कहती हैं कि पारंपरिक नौ-पांच वाली नौकरी उन्हें न तो बेटी के लिए समय दे पाती और न ही घर को स्थिरता. “मैं तय करती हूं कि कब काम करना है, किसके साथ काम करना है और कितने समय तक करना है. यह आज़ादी मेरे लिए अनमोल है, खासकर एक मां के रूप में,” रोमानोवा ने बताया.

घर और काम में संतुलन

एस्कॉर्ट के रूप में काम करने से उन्हें इतना वित्तीय सहारा मिला कि वह अपनी बेटी को एक स्थिर और सुरक्षित माहौल दे सकीं. उनका कहना है कि आर्थिक रूप से सक्षम होने की वजह से वह अपनी बेटी के लिए वही जीवन बना पाईं, जिसकी उन्होंने हमेशा कल्पना की थी.

रोमानोवा मानती हैं कि एस्कॉर्ट के काम में भावनात्मक समझ, धैर्य, आत्मविश्वास और विवेक की ज़रूरत होती है. यही गुण वह एक मां के रूप में भी अपनाती हैं. उनका कहना है कि इस पेशे ने उन्हें और मज़बूत और स्वतंत्र बनाया है. उन्होंने अपनी बेटी को भी यही दिखाने की कोशिश की है कि एक महिला किस तरह आत्मनिर्भर होकर अपनी राह चुन सकती है.

हालांकि, उन्हें समाज की आलोचनाओं और तानों का सामना करना पड़ता है, लेकिन वह अपने निर्णय पर अडिग हैं. उनके मुताबिक, वह किसी भी तरह शर्मिंदा नहीं हैं बल्कि अपनी यात्रा पर गर्व करती हैं. “अब भी समाज में इस पेशे को लेकर बहुत कलंक है लेकिन मैंने अपने भीतर आत्मसम्मान की गहरी समझ बनाई है. मैं अपनी ज़िंदगी और अपने फैसलों पर गर्व करती हूं, चाहे एक एस्कॉर्ट के रूप में हो या एक मां के रूप में,” उन्होंने कहा.

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