नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट 15 साल से ऊपर की नाबालिग मुस्लिम लड़की की शादी पर राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. दरअसल, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 15 साल से ऊपर की लड़की को 21 साल के लड़के निकाह की अनुमति देते हुए कहा था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत लड़की की उम्र विवाह योग्य है. इसलिए वह निकाह कर सकती है. NCPCR ने सुप्रीम कोर्ट में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के इसी फैसले को चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 9 नवंबर को सुनवाई करेगा.

आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस के कौल और अभय एस ओका की पीठ ने नोटिस जारी किया. अदालत की सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त किया. एनसीपीसीआर की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है. उन्होंने फैसले में की गई टिप्पणियों पर रोक लगाने की मांग की. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे की जांच करेगी और मामले की सुनवाई सात नवंबर को तय की है.

हाई कोर्ट के फैसले पर उठाए सवाल?

NCPCR की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सवाल उठाया कि क्या हाईकोर्ट ऐसा आदेश दे सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले की जांच करेंगे. आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि हाई कोर्ट का यह फैसला बाल विवाह निषेध अधिनियम और पॉक्सो अधिनियम का उल्लंघन है. यह आदेश बाल विवाह की अनुमति प्रदान करता है. पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यह आदेश एक मुस्लिम जोड़े द्वारा मुस्लिम रीति-रिवाज से निकाह किए जाने के बाद उन्होंने अपनी सुरक्षा को लेकर प्रोटेक्शन पिटिशन दाखिल किया था. जिस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया था.

लड़की को संरक्षण देने के खिलाफ नहीं- एसजी

जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष एसजी तुषार मेहता दलील दी कि हम लड़की को दिए गए संरक्षण आदेश के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन क्या अदालत दंडात्मक प्रावधानों के खिलाफ आदेश पारित कर सकती है? इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि इस मामले पर विचार करना होगा. यह कानून का एक प्रश्न है, जिस पर विचार करने की आवश्यकता है.

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