भिलाई [न्यूज़ टी 20] बेटियों, महिलाओं की दुष्कर्म के बाद हत्या करने वाले, सरकारी सेवकों के हत्यारे, आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहने वाले और नशे का कारोबार करने वाले अब जेलों से कभी बाहर नहीं निकल सकेंगे।

मध्यप्रदेश में 11 साल बाद उम्रकैद से जुड़ी नीति राज्य सरकार बदलने जा रही है।अब तक उम्रकैद की सजा 14 साल (सूखी यानी निरंतर चलने वाली और पूरी 20 साल) होती है।

ये सजा पूरी होने के बाद कैदी के व्यवहार को देखकर 15वें से लेकर 20वें साल के बीच रिहाई हो जाती है, लेकिन नई नीति के बाद ऐसा नहीं होगा। ऐसे कैदियों को जीवन की अंतिम सांस तक जेल में ही रहना होगा।

अपर मुख्य सचिव जेल, प्रमुख सचिव लॉ और डीजीपी की कमेटी ने नई नीति बना ली है। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद इसे जारी कर दिया जाएगा।

इसके तहत प्रावधान रहेगा कि यदि किसी की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने के लिए राष्ट्रपति, केंद्र सरकार या राज्यपाल की सिफारिश होती है तो वो उम्रकैद भी अंतिम सांस तक की रहेगी।

दरअसल, नई नीति इसलिए बनाई जा रही है, ताकि बच्चियों के खिलाफ बढ़ रहे अपराध और समाज में नशे का कारोबार फैला रहे लोगों के मन में खौफ हो।

इन पर दया नहीं… इस उम्रकैद में कैसे-कैसे अपराधी

पेशेवर हत्या, कॉन्ट्रैक्ट किलर, डकैती में नृशंस हत्या करने वाला, भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ने के अपराध में सजा पा चुका अपराधी भी नई उम्रकैद के दायरे में आएगा।

पोटा (प्रिवेंशन ऑफ टेरेरिज्म एक्ट 2002), टाडा (टेरेरिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) और

एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट) के मामले में यदि कोई पकड़ा जाता है और सजा होती है तो उसमें कोई दया नहीं मिलेगी।

रहम नहीं… जो अपराध गंभीर, उनमें रिहाई की गुंजाइश भी नहीं

क्यों बदल रहे नीति

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने क्रिमिनल अपील क्रमांक 784/2010 में राज्यों से कहा है कि वह उम्रकैद की नीति बदले। इसीलिए अपर मुख्य सचिव जेल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन हुआ है। इसकी तीन दिन पहले बैठक भी हो गई।

अभी ये हैं प्रावधान

उम्र कैद 14 साल की। उसी अपराधी को दूसरे केस में 5 साल की सजा होती थी तो उम्रकैद 14 से बढ़कर 15 साल हो जाती थी।

तीसरे की सजा 10 साल मिली है तो उम्रकैद 16 साल हो जाती है। यदि उसे रिहाई चाहिए तो दूसरे केस में उम्रकैद के साथ 20 साल जेल में काटने होंगे।

रिहाई के 4 अवसर होंगे

अभी सिर्फ स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त और गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के दिन ही रिहाई होती है। मप्र में दो अवसर और दिए जाएंगे।

लेकिन नीति में यह शामिल रहेगा कि जिन अपराधों को गंभीर माना गया है, उसमें दया बरतते हुए रिहाई नहीं होगी।

उप्र… योगी के राज में उम्रकैद यानी 60 साल की आयु तक की सजा

उप्र की योगी सरकार ने साल भर पहले ही नीति बनाई है। इसमें पुरुष अपराधी को उम्रकैद मिलने पर 60 साल जेल में रहना होगा।

यानी यदि किसी ने अपराध 25 साल की उम्र में किया है तो उसे 35 साल जेल में रहना होगा। यही कानून महाराष्ट्र में भी लागू है।

मप्र में उम्रकैद काट रहे लोगों पर भी लागू हाेंगे नई नीति के प्रावधान

‘अब बेटियों-महिलाओं समेत गंभीर अपराधों में मिली उम्रकैद ताउम्र की होगी। मुख्यमंत्री से मंजूरी के बाद इसे लागू करेंगे। अभी जेलों में उम्रकैद की सजा काट रहे लोगों पर भी नई नीति प्रभावी होगी।’ – डॉ. राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव, जेल

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