भिलाई [न्यूज़ टी 20] केंद्र सरकार ने दशकों पुरानी रक्षा भर्ती प्रक्रिया में मंगलवार को आमूलचूल परिवर्तन करते हुए, थलसेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती संबंधी ‘अग्निपथ’ नामक योजना की मंगलवार को घोषणा की,

जिसके तहत सैनिकों की भर्ती चार साल की अवधि के लिए संविदा आधार पर की जाएगी। हालांकि कई पूर्व सैनिकों को केंद्र की ‘अग्निपथ’ भर्ती योजना पसंद नहीं आई। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने भी सैनिकों की नई भर्ती योजना पर गंभीर आपत्ति जताई है। 

कैप्टन अमरिंदर सिंह खुद पूर्व सैनिक रह चुके हैं और उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने भी सेना में अपनी सेवा दी है। सिख रेजिमेंट में अपनी सेवा दे चुके पूर्व मुख्यमंत्री ने सैनिक भर्ती की नई प्रक्रिया की आलोचना करते हुए कहा कि यह सिख रेजिमेंट, सिख लाइट इन्फैंट्री,

गोरखा राइफल्स, राजपूत रेजिमेंट, जाट रेजिमेंट, आदि सिंगल क्लास रेजीमेंटों के लिए मौत की घंटी बजाने जैसा है। गौरतलब है कि यह भर्ती ‘‘अखिल भारतीय, अखिल वर्ग’’ (ऑल इंडिया ऑल क्लास) के आधार पर की जाएगी।

इससे उन कई रेजींमेंट की संरचना में बदलाव आएगा, जो विशिष्ट क्षेत्रों से भर्ती करने के अलावा राजपूतों, जाटों और सिखों जैसे समुदायों के युवाओं की भर्ती करती हैं।

“रेजिमेंटों की अपनी परंपराएं और जीने का तरीका होता है”

कैप्टन अमरिंदर सिंह इस समय लंदन में हैं। द इंडियन एक्सप्रेस से फोन पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “ऐसा करने का क्या कारण है, मुझे समझ नहीं आ रहा है।” उन्होंने कहा कि सिंगल क्लास रेजिमेंट के साथ ऑल इंडिया ऑल क्लास एक्सपेरिमेंट 80 के दशक में शुरू किया गया था और असफल रहा था।

कैप्टन ने कहा, “ये रेजिमेंट अपने वर्तमान माहौल में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, तो इसे क्यों बदलें? मैं इस कदम से कतई सहमत नहीं हूं। इन रेजिमेंटों की अपनी परंपराएं और जीने का तरीका होता है और आप किसी ऐसे व्यक्ति से कैसे वो सब करने की कैसे उम्मीद कर सकते हैं जो उस पृष्ठभूमि से नहीं है।”

अमरिंदर सिंह ने यह भी कहा कि चार साल के कार्यकाल के साथ, एक सैनिक के पास मैदान में जाने से पहले सैनिकों के बुनियादी अनुभव को इकट्ठा करने के लिए मुश्किल से पर्याप्त समय होगा।

उन्होंने कहा, “सात साल की सेवा अवधि और सात साल की आरक्षित देयता हुआ करती थी। लेकिन एक सैनिक के लिए अत्याधुनिक रूप से प्रभावी होने के लिए चार साल बहुत कम समय है।” 

नेपाल भारत संबंधों में आएगा बदलाव

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए पश्चिमी कमान के पूर्व जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल तेज सप्रू (सेवानिवृत्त) ने कहा कि नए कदम से भारत-नेपाल संबंधों को कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने कहा, “भारतीय सेना में कार्यरत नेपाली नागरिक सैनिक अपने वेतन और पेंशन के जरिए

नेपाली अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख योगदान देते हैं। वे उन गांवों में भी भारत के महत्वपूर्ण राजदूत हैं जहां वे रहते हैं। यही एक कारण है कि चीनी नेपाली समाज में ज्यादा पैठ नहीं बना पाए हैं। सभी वर्ग की भर्ती द्वारा उनकी भर्ती में कटौती और फिर सेवा के वर्षों को कम करके, नेपाल-भारत संबंधों में एक बड़ा बदलाव हो सकता है।”

एक पूर्व महानिदेशक आर्टिलरी, लेफ्टिनेंट जनरल पीआर शंकर (सेवानिवृत्त) ने अग्निपथ स्कीन की आलोचना करते हुए इसे ‘किंडरगार्टन आर्मी’ करार दिया। कई दिग्गजों ने अग्निपथ में ‘खामियों’ की ओर इशारा करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया और सुझाव दिए।

मेजर जनरल बीएस धनोआ (सेवानिवृत्त) ने ट्वीट किया, “सशस्त्र बलों के लिए हाल ही में घोषित भर्ती नीति के लिए दो गंभीर सिफारिशें; 1) नए रंगरूटों की सेवा अवधि को न्यूनतम सात वर्ष तक बढ़ाएं। 2) कम से कम 50 प्रतिशत से अधिक समय तक सेवा करने के इच्छुक लोगों को बनाए रखें।”

बता दें कि अधिक योग्य और युवा सैनिकों को भर्ती करने के लिए दशकों पुरानी चयन प्रक्रिया में बड़े बदलाव के संबंध में रक्षा मंत्रालय ने बताया कि योजना के तहत तीनों सेनाओं में इस साल 46,000 सैनिक भर्ती किए जाएंगे और चयन के लिए पात्रता आयु 17.5 वर्ष से 21 वर्ष के बीच होगी और इन्हें ‘अग्निवीर’ नाम दिया जाएगा।

रोजगार के पहले वर्ष में एक ‘अग्निवीर’ का मासिक वेतन 30,000 रुपये होगा, लेकिन हाथ में केवल 21,000 रुपये ही आएंगे। हर महीने 9,000 रुपये सरकार के समान योगदान वाले एक कोष में जाएंगे। इसके बाद दूसरे,

तीसरे और चौथे वर्ष में मासिक वेतन 33,000 रुपये, 36,500 रुपये और 40,000 रुपये होगा। प्रत्येक ‘अग्निवीर’ को ‘सेवा निधि पैकेज’ के रूप में 11.71 लाख रुपये की राशि मिलेगी और इस पर आयकर से छूट मिलेगी।

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