भिलाई [न्यूज़ टी 20] नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम आदेश में सेक्स वर्कर्स के पेशे को मान्यता दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इसपर पूरे मामले पर एक नए सिरे से बहस छिड़ गई है। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या भारत में सेक्स वर्कर्स को शर्मिंदगी और शोषण से बचाने के लिए कानून में संशोधन किए जाने की आवश्यकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सेक्स वर्कर एक पेशा है, ऐसे में इस पेशे में लिप्त लोगों के साथ गलत व्यवहार नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने पुलिस और मीडिया को हिदायत दी है।

एक तरफ जहां पुलिस को निर्देश दिया है कि सेक्स वर्कर्स के साथ गलत बर्ताव नहीं किया जाए तो दूसरी तरफ मीडिया से इनकी पहचान को उजागर नहीं करने को कहा गया है।

बता दें कि देश में वेश्वायवृत्ति अभी भी गैरकानूनी है। लेकिन कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि आपसी सहमति से संबंध गलत नहीं है।

क्या कहता है आईपीसी

ऐसे में आइए जानते हैं कि वेश्यावृत्ति को लेकर हमारे देश का कानुन क्या है। भारतीय दंड संहिता के अनुसार वेश्यावृत्ति गैरकानूनी है, लेकिन इसके तहत कुछ गतिविधियों के लिए सजा का भी प्रावधान है।

सार्वजनिक जगह पर वेश्यावृत्ति अपराध है, होटल में वेश्यावृत्ति करना अपराध है, सेक्स वर्कर्स के जरिए वेश्यावृत्ति कराना अपराध है या फिर ग्राहकों के लिए वेश्याओं को मुहैया कराना अपराध है।

क्या है 1986 इम्मोरल एक्ट

इम्मोरल ट्रैफिक एक्ट 1986 के तहत मूल कानून में संशोधन किया गया था। इस कानून के अनुसार वेश्वावृत्ति में लिप्त महिला अगर दूसरे को मोहित करने की कोशिश करती है तो यह अपराध है और उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।

इसके अलावा अगर कॉल गर्ल अपना फोन नंबर सार्वजनिक करती है तो यह भी अपराध है। ऐसा करने पर 6 महीने की सजा हो सकती है या फिर जुर्माना लगाया जा सकता है।

संविधान क्या कहता है

संविधान के आर्टिकल 23 में 2014 में एक संशोधन किया गया, जिसमे कहा गया कि मानव तस्करी या फिर जबरन मजदूरी कराना प्रतिबंधित है। ऐसा करना दंडनीय अपराध है।

इस आर्टिल में राज्य को सार्वजनिक उद्देश्यों को अनिवार्य रूप से लागू करने की अनुमति है। हालांकि यह धर्म,जाति या वर्ग के आधार पर नहीं हो सकता है। इसमे किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

क्या है भारत में मौजूदा स्थिति

ऐसे में यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि भारत में वेश्यावृत्ति गैरकानूनी नहीं है बल्कि इसकी मांग करना और सार्वजनिक स्थल पर करना गैरकानूनी है। वेश्यालय को चलाना भी गैरकानूनी है।

लेकिन दिल्ली में स्थित जीबी रोड जहां पहले से ही इस तरह के वेश्यालय चल रहे हैं, यहां शायद इन कानूनों को लागू किया जाना काफी मुश्किल है। लेकिन कोर्ट के आदेश से वेश्यावृत्ति में शामिल महिलाओं को संरक्षण जरूर मिला है।

अगर केंद्र ने SC का फैसला किया स्वीकार

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब देखने वाली बात यह है कि क्या केंद्र सरकार इसे स्वीकार करता है। अगर केंद्र इस फैसले को स्वीकार करता है तो सेक्स वर्कर्स को कानूनी सुरक्षा मिलेगी।

अगर सेक्स वर्कर किसी भी तरह के यौन अपराध की शिकायत करती हैं तो पुलिस इसे गंभीरता से लेगी और कानून के तहत कार्रवाई करेगी। अगर वेश्यालय पर छापा मारा जाएगा तो इसमे शामिल सेक्स वर्कर को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा,

ना ही उनका शोषण होगा। अगर कोई सेक्स वर्कर जिसके साथ यौन शोषण किया गया तो उसे सामान्य महिला की तरह कानूनी मदद मिलेगी।

पुलिस को सेक्स वर्कर्स के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना होगा। उनके साथ किसी भी तरह की हिंसा नहीं की जा सकती है।

अन्य देशों में वेश्यावृत्ति

अगर अन्य देशों की बात करें तो कुछ देश में सेक्स वर्कर्स को मान्यता है। यहां वेश्यावृत्ति को मान्यता दी गई है। न्यूजीलैंड में 2003 से वेश्यावृत्ति लीगल है। इसके लिए वेश्यालयों को लाइसेंस दिया जाता है,

यहां कर्मचारी स्वास्थ्य और कानून का ध्या रखते हुए बिजनेस करते है। फ्रांस में भी वेश्यावृत्ति कानूनी है। हालांकि सार्वजनिक जगहों पर इसकी अनुमति नहीं है। जर्मनी में वेश्यावृत्ति लीगल है।

यहां सरकार द्वारा वेश्यालय चलाए जाते हैं। यहां सेक्स वर्कर्स को इंश्योरेंस दिया जाता है, उन्हें पेंशन जैसी सुविधा दी जाती है ग्रीस में भी सेक्स वर्कर्स को बराबरी का अधिकार दिया जाता है। कनाडा में सख्त नियमों के साथ वेश्यावृत्ति की अनुमति है।

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