भिलाई [न्यूज़ टी 20] नई दिल्ली: श्रीलंका से भागकर सिंगापुर में शरण लेने वाले पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की मुसीबतें बढ़ गई हैं. दरअसल, सिंगापुर प्रशासन ने राजपक्षे से देश छोड़ने के लिए कहा है. प्रशासन की ओर से कहा गया है कि उन्हें सिंगापुर में रहने के लिए मिली 15 दिन की छूट को और नहीं बढ़ाया जा सकता है.

उधर, श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश की धारा 2 के तहत इमरजेंसी का ऐलान किया है. श्रीलंका में गोटाबाया राजपक्षे की सरकार उस वक्त मुसीबत में आ गई थी,

जब आर्थिक संकट से जूझ रहे लोग सड़कों पर उतर आए. गोटाबाया राजपक्षे और उनके परिवार के खिलाफ बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर थे. यहां तक कि प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर भी कब्जा कर लिया था. इसके बाद गोटाबाया राजपक्षे ने श्रीलंका छोड़ दिया.

गुरुवार को उन्होंने राष्ट्रपति पद से भी इस्तीफा दे दिया. गोटाबाया के इस्तीफे के बाद सिंगापुर प्रशासन ने भी पूर्व राष्ट्रपति को शरण देने से इनकार कर दिया. माना जा रहा है कि गोटाबाया के खिलाफ श्रीलंका में कई केस चलाए जा सकते हैं. गोटाबाया के सिंगापुर में पहुंचने के बाद विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था

कि वे यहां निजी दौरे पर पहुंचे हैं. सिंगापुर विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उन्होंने न तो शरण मांगी है, न ही उन्हें कोई शरण दी गई है. बयान में कहा गया था कि सिंगापुर आमतौर पर शरण नहीं देता है. उधर, श्रीलंका में नया राष्ट्रपति चुने जाने तक प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभाला है.

उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए इमरजेंसी लागू की है, ताकि सुरक्षाबल कठोर कदम उठा सकें. श्रीलंका में बुधवार को नए राष्ट्रपति का चुनाव होगा. दरअसल, राजपक्षे बुधवार को श्रीलंका से भागकर पहले मालदीव पहुंचे थे और फिर वहां से सिंगापुर पहुंच गए.

लेकिन माना जा रहा हैकि राजपक्षे की मंजिल सिंगापुर नहीं है. सिंगापुर उनके लिए महज ट्रांजिट प्वाइंट है, गोटाबाया का इरादा वहां से सऊदी अरब रवाना होना है. हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि गोटाबाया सिंगापुर ही पहुंचना चाहते थे.

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