भिलाई [न्यूज़ टी 20] लंका में गंभीर राजनीतिक और आर्थिक हालात के बीच सेना ने बयान जारी करके कहा है कि उसके जवान अपनी जान देकर भी कानून व्यवस्था बनाए रखने और सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सेना ने कहा है कि जब से देश आजाद हुआ है तब से ही अखंडता और अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा की गई है।
संविधान के अनुसार लोगों के फ्री मूवमेंट को भी तवज्जो दी गई है। मई में जब से जनता ने प्रदर्शन करना शुरू किया है, तब भी सेना ने सहयोग किया है। बता दें कि राष्ट्रपति भवन को प्रदर्शनकारियों से खाली करवाया गया है। सेना ने राष्ट्रपति भवन पर टैंक तैनात कर दिए हैं। यहां प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया था।
इससे पहले जब कार्यवाहक राष्ट्रपति ने सेना ने बल प्रयोग करने को कहा था तब सेना ने जनता का विरोध न करने का फैसला किया था और कम बल प्रयोग करने पर ही सहमत हुई थी। सेना ने कहा कुछ छोटी-मोटी घटनाओं के अलावा बड़े प्रदर्शन के बावजूद जनता और सेना के बीच कोई भिड़ंत नहीं हुई है और न ही सेना को किसी की जान को नुकसान पहुंचाया है।
सेना ने कड़े शब्दों में कहा है कि लोग हिंसा के रास्ते से हट जाएं वरना सेना को मजबूर होकर कार्रवाई करनी पड़ेगी। श्रीलंका की सेना की तरफ से कहा गया है कि अगर सार्वजनिक संपत्ति और लोगों के हित के लिए उसे बड़ा कदम उठाना पड़ा तो वह पीछे नहीं हटेगी।
सेना ने कहा कि कार्यवाहक राष्ट्रपति और स्पीकर से चर्चा के बाद यही निष्कर्ष निकाला गया है कि संवैधानिक तरीके से इस राजनीतिक अस्थिरता का हल निकाला जाएगा। पहले शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर बल प्रयोग न करने का फैसला किया गया था। हालांकि कुछ जगहों पर जहां हिंसा हुई वहां हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
सेना ने कहा कि बहुत प्रयास के बावजूद कई जगहों पर देखा गया कि प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए। वे कानून का उल्लंघन करने लगे। संसद भवन और स्पीकर के आवास पर भी प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया और पुलिस बैरिकेड्स तोड़ दिए। इसके बाद सेना ने आपातकाल स्थिति से निपटने के लिए कोलंबो की गलियों में हथिया तैनात कर दिए हैं।