भिलाई [न्यूज़ टी 20] बर्लिन. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्ज के साथ बातचीत के बाद सोमवार को कहा कि भारत का मानना ​​है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में कोई भी देश विजयी नहीं होगा क्योंकि इससे सभी को नुकसान होगा और विकासशील एवं गरीब देशों पर इसका ‘अधिक गंभीर’ प्रभाव पड़ेगा.

दोनों नेताओं ने युद्ध को तत्काल समाप्त करने की आवश्यकता को दोहराया. दोनों देशों के बीच छठे अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) की सह-अध्यक्षता के बाद शॉल्ज के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए

मोदी ने कहा कि भारत संघर्ष के मानवीय प्रभाव से चिंतित है और उसने यूक्रेन को मानवीय सहायता प्रदान की है. मोदी तीन देशों की अपनी यूरोप यात्रा के पहले चरण में सोमवार सुबह बर्लिन पहुंचे.

इस दौरान वह डेनमार्क और फ्रांस भी जाएंगे. प्रधानमंत्री ने समग्र रणनीतिक साझेदारी और क्षेत्रीय सहयोग के तहत द्विपक्षीय सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों और वैश्विक घटनाक्रम पर जर्मन चांसलर के साथ बातचीत की.

आईजीसी में अपने उद्घाटन भाषण में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख पहलुओं के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला.

इसमें मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत और जर्मनी के बीच साझेदारी एक जटिल दुनिया में सफलता का उदाहरण बन सकती है. दोनों नेताओं ने हरित और सतत विकास के लिए भारत-जर्मन साझेदारी की स्थापना के इरादे की संयुक्त घोषणा.

पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत जर्मनी कम से कम 10 अरब यूरो के नए लक्ष्य के साथ भारत के लिए अपने वित्तीय और तकनीकी सहयोग एवं अन्य सहायता को मजबूत करने तथा 2030 तक अतिरिक्त प्रतिबद्धताओं का इरादा रखता है.

‘संघर्ष का प्रभाव विकासशील और गरीब देशों पर अधिक गंभीर होगा’

यूक्रेन संकट पर, मोदी ने कहा कि शुरू से ही, भारत ने युद्ध को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया और जोर देकर कहा कि विवाद को हल करने के लिए बातचीत ही एकमात्र समाधान है.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारा मानना ​​है कि इस युद्ध में कोई विजयी पक्ष नहीं होगा और सभी को नुकसान होगा. इसलिए, हम शांति के पक्ष में हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यूक्रेन संकट से उत्पन्न अशांति के कारण,

तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं और खाद्यान्न तथा उर्वरकों की कमी हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप दुनिया के हर परिवार पर बोझ पड़ रहा है.’ मोदी ने कहा कि इस संघर्ष का प्रभाव विकासशील और गरीब देशों पर अधिक गंभीर होगा तथा

भारत संघर्ष के मानवीय प्रभाव को लेकर भी चिंतित है. वहीं, शॉल्ज ने कहा कि यूक्रेन पर अपने हमले के माध्यम से रूस ने अंतरराष्ट्रीय कानून के मूलभूत सिद्धांतों का उल्लंघन किया है. जर्मन चांसलर ने कहा कि युद्ध

और यूक्रेन में नागरिक आबादी के खिलाफ क्रूर हमले दिखाते हैं कि रूस कैसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहा है.

भारत और जर्मनी ने की युद्ध की निंदा

वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘जर्मनी ने यूक्रेन के खिलाफ रूसी बलों द्वारा गैरकानूनी और अकारण आक्रमण की अपनी कड़ी निंदा को दोहराया.’

बयान में कहा गया कि जर्मनी और भारत ने यूक्रेन में चल रहे मानवीय संकट के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की और यूक्रेन में आम नागरिकों के मारे जाने को लेकर ‘स्पष्ट रूप से निंदा’ की.

संयुक्त बयान में कहा गया कि उन्होंने युद्ध को तत्काल समाप्त करने की आवश्यकता दोहराई और इस बात पर जोर दिया कि समकालीन वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर,

अंतरराष्ट्रीय कानून और संप्रभुता के सम्मान और राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता पर आधारित है. उन्होंने यूक्रेन में संघर्ष के अस्थिर प्रभाव और इसके व्यापक क्षेत्रीय एवं वैश्विक प्रभावों पर चर्चा की. दोनों पक्ष इस मुद्दे पर निकटता से जुड़े रहने पर सहमत हुए.

अफगानिस्तान में मौलिक स्वतंत्रता के उल्लंघन पर जताई चिंता

अपनी टिप्पणी में, शॉल्ज ने कहा कि उन्होंने जर्मनी में जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी को भी आमंत्रित किया है और इस बात पर जोर दिया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं जलवायु परिवर्तन वार्ता में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है.

मोदी ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों के रूप में भारत और जर्मनी के कई समान मूल्य हैं. बयान में कहा गया कि अफगानिस्तान पर, दोनों पक्षों ने मानवीय स्थिति, लक्षित आतंकवादी हमलों सहित हिंसा के फिर सिर उठाने,

मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता के उल्लंघन तथा लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा में बाधा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की. इसमें कहा गया कि उन्होंने शांतिपूर्ण,

सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान के लिए अपना समर्थन दोहराया तथा अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करना जारी रखने की पुष्टि की.

आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा

बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों की कड़ी निंदा की, जिसमें परोक्ष और सीमा पार आतंकवाद का इस्तेमाल भी शामिल है. इसमें कहा गया कि उन्होंने सभी देशों से आतंकी पनाहगाहों और उनके बुनियादी ढांचे को खत्म करने,

आतंकवादी नेटवर्क को नष्ट करने और इससे अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार निपटने का आह्वान किया. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) 1267 प्रतिबंध समिति द्वारा प्रतिबंधित समूहों

सहित सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया. बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष आतंकवादी समूहों और व्यक्तियों के खिलाफ प्रतिबंधों के बारे में सूचनाओं के निरंतर आदान-प्रदान,

कट्टरपंथ का मुकाबला करने और आतंकवादियों के इंटरनेट के उपयोग तथा आतंकवादियों की सीमा पार से होने वाली गतिविधियों से निपटने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं.

व्यापार को लेकर भी दोनों देशों में हुई बात

मोदी और शॉल्ज ने एफएटीएफ सहित सभी देशों द्वारा धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने पर अंतरराष्ट्रीय मानकों को बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया,

जो वैश्विक सहयोग के लिए ढांचे को आगे बढ़ाएगा और इसे मजबूत करेगा तथा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को सुदृढ़ करेगा. भारत और जर्मनी ने मौजूदा एवं भविष्य की प्रतिबद्धताओं के तेजी से कार्यान्वयन के महत्व पर बल दिया.

जर्मनी और भारत ने बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के केंद्र और विकासशील देशों को वैश्विक व्यापार प्रणाली में एकीकृत करने के केंद्रीय स्तंभ के रूप में विश्व व्यापार संगठन के महत्व पर भी प्रकाश डाला.

दोनों देश विश्व व्यापार संगठन में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं. दोनों देशों ने यूरोपीय संघ और भारत के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते, एक निवेश संरक्षण समझौते और भौगोलिक संकेतों पर एक समझौते पर आगामी वार्ता के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया.

तथा द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश के विस्तार के लिए ऐसे समझौतों की विशाल क्षमता को रेखांकित किया. मोदी ने कहा कि भारत यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता वार्ता में तेजी से प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है.

उन्होंने यह भी कहा कि भारत और जर्मनी ने हरित हाइड्रोजन कार्यबल का गठन करने का फैसला किया है.

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