भिलाई [न्यूज़ टी 20] अहमदाबाद / गुजरात हाईकोर्ट ने मौत के बाद मुआवजा राशि पर टैक्स डिमांड निकालने पर आयकर विभाग से सवाल किया है. वहीं, विभाग ने इस संबंध में जवाब देने में कुछ समय की मांग की है. 36 साल पुरानी एक अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट में हाईजैक की घटना में एक भारतीय महिला की मौत के बाद न्यूयॉर्क की कोर्ट ने मुआवजा राशि का ऐलान किया था. इसके बाद महिला के रिश्तेदार ने इस राशि पर आयकर की मांग के खिलाफ अदालत का रुख किया था.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कोर्ट ने सवाल किया है कि क्या विदेशी कोर्ट की तरफ से दी गई ऐसी मुआवजा राशि को ‘आय’ माना जा सकता है. और अगर ऐसा है, तो इसपर किन प्रावधानों के तहत कर लग सकता है.
मामले में कल्पेश बाबूलाल दलाल ने याचिका दायर की है. साल 1986 में पैन एएम फ्लाइट में हाईजैक की घटना में उनकी पत्नी तृप्ति दलाल की मौत हो गई थी. वे बॉम्बे से न्यूयॉर्क यात्रा कर रही थीं.
इस घटना के बाद कोलंबिया में कोर्ट ने फैसला सुनाया था. जिसमें पत्नी की मौत के बाद दलाल को करीब मुआवजे के तौर पर करीब 18.60 करोड़ रुपये मिले थे. उन्हें वित्त वर्ष 2012-13 में 8.11 करोड़ रुपये, 2013-14 में 34.24 लाख रुपये और 2.14-15 में 10.15 करोड़ रुपये मिले थे.
हालांकि, आयकर विभाग ने वित्तीय वर्ष 2013-14 और 2014-15 के लिए आकलन को फिर खोलने की मांग की है. विभाग ने दावा किया है कि दलाल की तरफ से दाखिल किए गए रिटर्न्स में मुआवजा राशि नहीं दिखाई गई है. आयकर विभाग की तरफ से नोटिस मिलने के बाद दलाल ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
याचिकाकर्ता का कहना है कि मुआवजा राशि आय नहीं है और इसलिए इसपर टैक्स नहीं लगाया जा सकता. सुनवाई के दौरान दलाल ने यह भी बताया कि विभाग के जांच दल ने 2014 में समन जारी किए थे, जिसपर उन्होंने प्रतिक्रिया दी है. याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने बैंक लेनदेन से जुड़ी भी सभी जानकारियां दी हैं.
इसे ‘अनोखा’ मामला मानते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला और निशा ठाकुर की डिवीजन बेंच ने 24 जनवरी को आयकर विभाग को नोटिस जारी किया था. इस मामले पर आगे की सुनवाई 14 मार्च को होगी.
5 सितंबर 1986 में मुंबई-न्यूयॉर्क फ्लाइट को फिलिस्तीनी उग्रवादियों ने हाईजैक कर लिया था. उस दौरान विमान में 360 यात्री सवार थे. इस घटना में 20 यात्रियों की मौत हुई थी. मारे जाने वालों में 13 भारतीय और 2 अमेरिकी शामिल थे.