भिलाई [न्यूज़ टी 20] भारत और अमेरिका के बीच 2+2 बैठक से पहले नरेंद्र मोदी और जो बाइडेन के बीच वर्चुअल मुलाकात हुई. इस दौरान यूक्रेन पर भारतीय प्रतिक्रिया सबसे अहम मुद्दा रही.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि रूस से तेल खरीदना भारत के हित में नहीं है और इससे यूक्रेन युद्ध के खिलाफ उठाए जा रहे अमेरिकी कदमों में बाधा आ सकती है. एक अमेरिकी अधिकारी ने यह जानकारी दी.
भारत और अमेरिका के नेताओं ने सोमवार को वीडियो पर करीब एक घंटा लंबी बातचीत की जिसे अमेरिकी अधिकारियों ने गर्मजोश मुलाकात बताया.
दोनों नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर यूक्रेन में हो रही बर्बादी पर चिंता जाहिर की और खासतौर पर बुचा का जिक्र किया जहां सैकड़ों आम नागरिकों की मौत हुई है.
एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने लिखा है कि जो बाइडेन ने नरेंद्र मोदी से कुछ ठोस मांग नहीं कि जबकि भारतीय प्रधानमंत्री ने चीन और रूस की बढ़ती करीबियों को लेकर चिंता जाहिर की.
लेकिन बाइडेन ने मोदी से कहा कि रूसी ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता से वैश्विक पटल पर भारत की स्थिति मजबूत नहीं होगी. व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा,
“राष्ट्रपति ने बहुत स्पष्टता से कहा कि उसे (रूस पर निर्भरता) बढ़ाना उनके हित में नहीं है” अमेरिका ने रूस पर दबाव बढ़ाने में भारत से और ज्यादा मदद करने की अपील की. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा,
“हाल ही में बुचा में मासूम नागरिकों के मारे जाने की खबर बहुत चिंताजनक है. हमने फौरन उसकी निंदा की और निष्पक्ष जांच की मांग की.” मोदी ने यह भी कहा कि भारत ने रूस से हाल की एक बातचीत में सुझाव दिया था
कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की आमने-सामने बैठकर बात करें. भारत से उम्मीद भारत ने यूक्रेन पर हमले को लेकर अपने पुराने मित्र देश रूस की आलोचना नहीं की है.
रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में लाए गए तीनों प्रस्तावों पर मतदान के दौरान भी उसने गैरहाजिर रहने का फैसला किया, जिसे रूस का साथ देने के रूप में देखा गया.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि क्वॉड देशों में एक भारत ही है जो रूस के खिलाफ कदम उठाने को लेकर संदिग्ध है. हालांकि भारत सरकार ने दोनों पक्षों से फौरन हिंसा रोकने और बातचीत से विवाद सुलझाने की अपील की है.
जेन साकी ने यह नहीं बताया कि भारत ने रूस से आयात घटाने के बारे में कोई वादा किया या नहीं लेकिन कहा कि अमेरिका ऊर्जा स्रोतों की विविधता बढ़ाने में भारत की मदद को तैयार है.
युद्ध के बारे में नरेंद्र मोदी के बयान का जिक्र करते हुए साकी ने कहा कि अब “हम इससे आगे बढ़ते हुए उन्हें और ज्यादा कदम उठाने को प्रोत्साहित करेंगे और इसीलिए नेताओं की आपसी बातचीत महत्वपूर्ण है”
24 मई को दोनों नेता दोबारा मिलेंगे जब जापान में क्वॉड देशों अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत की बैठक होगी. 2+2 डायलॉग जो बाइडेन और नरेंद्र मोदी की वर्चुअल मुलाकात के बाद भारतीय और अमेरिकी रक्षा व
विदेश मंत्रियों के बीच सालाना ‘2+2 डायलॉग' के तहत बातचीत शुरू हुई. इसके लिए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर वॉशिंगटन में हैं. दोनों देशों के बीच यह चौथा वार्षिक सम्मेलन है.
इसकी शुरुआत में मीडिया से बातचीत करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा, “हम रूस के यूक्रेन युद्ध, कोविड-19 महामारी का खात्मा, जलवायु परिवर्तन आदि अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों पर बात कर रहे हैं”
पढ़ेंः भारत के लिए दोधारी तलवार बन गया है यूक्रेन-रूस युद्ध ब्लिंकेन ने कहा कि इन बैठकों ने द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती में अहम भूमिका निभाई है और इस वक्त वैश्विक मामलों का बहुत अहम दौर है.
इससे पहले ब्लिंकेन ने अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर ने अलग से भी मुलाकात की. भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक की शुरुआत में कहा कि दोनों देशों के बीच और मजबूत रक्षा संबंधों की उम्मीद है.
उन्होंने कहा, “एक दशक में अमेरिका से हमारी रक्षा आपूर्ति नाममात्र से बढ़कर 20 अरब डॉलर तक पहुंच चुकी है. हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश करेंगी और मेक इन इंडिया योजना का समर्थन करेंगी”
इससे पहले राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा उद्योग के कई बड़े उद्योगपतियों से भी मुलाकात की और उनसे भारत में निवेश करने का आग्रह किया.