भिलाई [न्यूज़ टी 20] मैरिटल रेप यानी पत्नी की सहमति के बिना उससे जबरदस्ती संबंध बनाना। फिलहाल भारत का मौजूदा कानून मैरिटल रेप को अपराध नहीं मानता है। इसे रेप की कैटेगरी में शामिल करने के लिए याचिका दायर की गई थी, जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आया है।

रोचक बात ये है इस पर फैसला सुनाने वाले दोनों जजों की अलग-अलग राय है। मैरिटल रेप के पूरे मामले को समझने के लिए हमने तीन पीड़ित महिलाओं की आपबीती जानी, इससे जुड़े एक्सपर्ट्स से बात की, कानूनों को खंगाला और हाईकोर्ट सुनवाई को ट्रैक किया।

मैरिटल रेप की आपबीती-1ः पेट में पल रहे बच्चे को भूल जाता था पति

ग्वालियर की रहने वाली शालिनी को अपना प्यार रोहन सोशल मीडिया से मिला था। दो-चार हफ्ते की बातचीत में दोनों को करीब आए और 2019 में आर्य समाज मंदिर में शादी हो गई। कुछ दिनों में शालिनी गर्भवती हो गई, लेकिन रोहन अभी बच्चा नहीं चाहता था।

इसके बाद शुरू होती है मैरिटल रेप की दर्दनाक कहानी। जरा-जरा सी बात पर रोहन अपनी गर्भवती पत्नी को पीटने लगा। मना करने के बाद भी जबरन शारीरिक संबंध बनाने की जिद करता। संबंध बनाते वक्त हैवानियत इस कदर हावी रहती है कि ये तक भूल जाता कि गर्भ में बच्चा है।

बेटे के पैदा होने के बाद यह स्थिति और बुरी हो गई। न उसे बच्चे के रोने की फिकर होती और न पीरिएड्स की, उसे सिर्फ हैवानियत करनी थी। मना करने पर गाली देने लगता और तलाक की धमकी भी। एक दिन फोन पर यह बात शालिनी ने मां को बताई।

मां ने भी समझाया कि यह सब पति-पत्नी के बीच नॉर्मल है। गलत कुछ नहीं, इसे जबरन नहीं कहते। मार-पिटाई और जबरन संबंध का सिलसिला जब बर्दाश्त के बाहर हो गया, तब शालिनी ससुराल छोड़कर मां के घर आ गई।

मैरिटल रेप की आपबीती-2: नींद की दवा खिलाकर संबंध बनाता था पति

23 साल की नाजिया मीडिया की पढ़ाई कर रही थीं। पेरेंट्स ने उसके लिए डॉक्टर लड़का खोजा। लड़के के पिता जज थे। शादी के बाद दो-चार दिन तक तो सब सही रहा। पर धीरे-धीरे बात समझ में आने लगी कि घर में सास से ज्यादा एक काम वाली महिला की चलती है।

वजह सास जानती हैं, पर चुप रहती हैं। पति से यह बात पूछी तो पहले तो वह टाल गया। नाजिया जल्द ही समझ गई कि कम उम्र की उस काम वाली के साथ घर के पुरुषों के संबंध हैं। उसने पति के साथ रिश्ता रखने से मना कर दिया।

विरोध करने का परिणाम यह हुआ कि जब भी पति को संबंध बनाने की इच्छा होती, वह नाजिया को नींद की दवाई दूध में मिलाकर दे देता था। ऐसा उसके साथ हर हफ्ते होने लगा। कई बार नींद खुल जाती थी, पर रेप कर रहे पति का विरोध करने की ताकत शरीर में नहीं होती थी।

कुछ दिन बाद नाजिया प्रेग्नेंट हो गईं। बच्चे के जन्म के बाद भी घर की स्थिति में बदलाव नहीं हुआ। इसके बाद मायके आकर कुछ दिन के लिए वे डिप्रेशन में रहीं। नाजिया ने तलाक की अर्जी दी। काफी दिनों तक केस चलने के बाद उसकी हुई। अब पढ़ाई पूरी करने के बाद नाजिया कॉलेज में लेक्चरर बन गई हैं।

मैरिटल रेप की आपबीती-3: बीमार पड़ने पर भी जानवरों की तरह दर्द देता था पति

भोपाल की रहने वाली स्मिता को शादी के फौरन बाद पति की सेक्शुअल फैंटेसी का सामना करना पड़ा। स्मिता ने अपने पति को कुछ दिनों तक ठहरने की बात कही, लेकिन सेक्स के लिए बेचैन पति शराब के नशे में उस पर जानवर की तरह टूट पड़ा।

वह सेक्स टॉय समझकर उनके शरीर पर चोट पहुंचाता रहा। इसके बाद वह कई रोज अस्पताल में भर्ती रहीं। फिर ससुराल वाले पति को परमात्मा बताते हुए स्मिता को समझा-बुझाकर अपने घर ले गए। ठीक होने के बाद स्मिता को लगा कि सब कुछ सही हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

एक दिन जब पति ने जबरदस्ती संबंध बनाने की कोशिश की तो सुबह-सुबह स्मिता किसी तरह ससुराल वालों से बचकर अपने माता-पिता के घर पहुंच गई। स्मिता ने वापस ससुराल जाने से इनकार कर दिया। फिर पति ने पुलिस थाने में स्मिता के चाल-चरित्र पर सवाल खड़ा करते हुए शिकायत कर दी।

इसके बाद जब स्मिता अपने पति के खिलाफ केस करने के लिए थाने पहुंचीं, तो वहां उन्हें पता चला कि पति को पत्नी के साथ जबरदस्ती करने का अधिकार संविधान से प्राप्त है। हालांकि वह इस लड़ाई को लड़ रही हैं और उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में उनकी जीत होगी।

हाईकोर्ट का फैसलाः मैरिटल रेप पर दोनों जजों की राय अलग

मैरिटल रेप को लेकर 11 मई को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। फैसला सुनाते समय हाईकोर्ट के दोनों जजों ने इस पर अलग-अलग राय जाहिर की। जस्टिस शकधर ने कहा- IPC की धारा 375, संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

लिहाजा, पत्नी से जबरन संबंध बनाने पर पति को सजा दी जानी चाहिए। वहीं जस्टिस सी हरिशंकर ने कहा- मैरिटल रेप को किसी कानून का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। बेंच ने याचिका लगाने वालों से कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं।

एक्सपर्ट्स की रायः सच कहने से डरती हैं मैरिटल रेप पीड़िताएं

ग्वालियर में रहने वाली ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमन एसोसिएशन (AIDWA) की काउंसलर प्रीति सिंह कहती हैं कि उनकी संस्था के पास आने वाले ज्यादातर मामले मैरिटल रेप से जुड़े होते हैं। पति की जोर-जबरदस्ती से परेशान महिलाएं कुछ भी बोलने से पहले डरी-सहमी होती हैं।

उनमें से ज्यादातर को लगता है कि पति को रेप का अधिकार होता है। प्रीति ने बताया कि हाल ही में एक पीड़िता आई थी जो सिर्फ रो रही थी। पीड़ित की मां ने जब कहानी सुनानी शुरू की तो सुनकर काउंसलर हैरान रह गई।

प्रीति कहती हैं कि गांवों में महिलाओं को सेक्स का खिलौना समझा जाता है। कोर्ट या सरकार मैरिटल रेप को गैर कानूनी इसलिए करार देना चाहिए कि इससे रोज यातनाएं झेल रही महिलाओं को मदद मिलेगी। उन्हें भरोसा होगा कि पति गलत करता है,

तो उसे सजा दिलाना संभव है। पुरुषों में भी डर होगा कि पत्नी के साथ जबरदस्ती करने पर उन्हें सजा मिलेगी। इस तरह महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय में कमी आएगी।

कानून में मैरिटल रेपः IPC की धारा 375 में अपवाद-2

साल 1736 में ब्रिटिश कानूनी विद्वान सर मैथ्यू हेल ने मैरिटल रेप के बारे में बताया कि शादीशुदा जीवन में रेप असंभव है। ऐसा इसलिए क्योंकि शादी के बाद पति को पत्नी से सेक्स करने की छूट मिल जाती है। इसी के आधार पर ब्रिटेन के कानून में भी मैरिटल रेप को गैरकानूनी नहीं माना गया था।

भारत में भी रेप का कानून ब्रिटेन से लिया गया है। इसलिए यहां भी मैरिटल रेप को गैरकानूनी नहीं माना गया है। हालांकि, बाद में ब्रिटेन ने मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में डाल दिया है। भारतीय कानून की बात करें तो इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 375 में रेप को अपराध बताया गया है।

IPC की धारा 375 अपवाद (2) के मुताबिक, कोई आदमी अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाता है, जिसकी उम्र 15 साल या उससे ऊपर है तो वह बलात्कार नहीं कहलाएगा, भले ही उस आदमी ने पत्नी के साथ जोर जबरदस्ती ही क्यों न की हो।

भारत में मैरिटल रेप झेलती हैं करोड़ों महिलाएं

  • नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NHFS-5) की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 24% महिलाओं को घरेलू हिंसा या यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है।
  • एक्सपर्ट का मानना है कि मैरिटल रेप के अधिकतर मामले समाज या परिवार के डर से कभी सामने ही नहीं आ पाते।
  • नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2019-20) के मुताबिक पंजाब के 67% पुरुषों ने कहा कि पत्नी के साथ जबरन सेक्स करना पति का अधिकार है।
  • यौन उत्पीड़न की शिकार शादीशुदा महिलाओं से पूछा गया कि पहला अपराधी कौन था तो 93% ने अपने पति का नाम लिया।
  • पत्नियों के खिलाफ यौन हिंसा के मामले में बिहार (98.1%), जम्मू-कश्मीर (97.9%) , आंध्र प्रदेश (96.6%), मध्य प्रदेश (96.1%), उत्तर प्रदेश (95.9%) और हिमाचल प्रदेश (80.2%) के पति सबसे आगे थे।
  • नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2005-06) के मुताबिक 93% महिलाओं ने माना था कि उनके वर्तमान या पूर्व पति ने यौन उत्पीड़न किया था।
  • नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2015-16) के मुताबिक देश में करीब 99% यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज ही नहीं होते।
  • नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक भारत में रेप महिलाओं के खिलाफ चौथा सबसे बड़ा अपराध है। देश में हर दिन औसतन 88 रेप होते हैं। इनमें 94% रेप केस में अपराधी पीड़िता का परिचित होता है।
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