भिलाई [न्यूज़ टी 20] बीजिंग: चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने इस साल आयोजित होने वाले अपने महत्वपूर्ण सम्मेलन से पहले सेवानिवृत्त कार्यकर्ताओं को ‘‘नकारात्मक राजनीतिक भाषण” देने से रोक दिया है.
इस सम्मेलन में राष्ट्रपति शी चिनफिंग के तीसरे कार्यकाल को मंजूरी मिलने की संभावना है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) का कांग्रेस अगले कुछ महीनों में आयोजित होने वाला है.
सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ के मुताबिक, सीपीसी की केंद्रीय समिति के कार्यालय ने ‘‘नए युग में सेवानिवृत्त कार्यकर्ताओं के बीच पार्टी निर्माण को मजबूत करना” शीर्षक से नियमों का एक सेट जारी किया है.
दिशानिर्देशों में इस बात पर जोर दिया गया है कि सेवानिवृत्त कार्यकर्ता पार्टी और राजनीतिक मार्गदर्शन की मूल्यवान संपत्ति हैं और उनके आचरण की निगरानी भी बढ़ाई जानी चाहिए.
बयान में सभी पार्टी विभागों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया कि सेवानिवृत्त कैडर और पार्टी के सदस्य ‘‘पार्टी की बात सुनें और पार्टी की नीतियों का पालन करें” और चेतावनी दी है कि
‘‘अनुशासन के उल्लंघन के मामलों से गंभीरता से निपटा जाना चाहिए.”
केंद्रीय संगठन विभाग के एक प्रवक्ता ने ‘शिन्हुआ’ को बताया कि नए नियम पार्टी के कुछ सदस्यों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद अनुशासन का उल्लंघन करने के कारण लाए गए हैं.
हांगकांग के अखबार ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ में मंगलवार को प्रकाशित एक खबर के मुताबिक बयान में पार्टी की केंद्रीय समिति की सामान्य नीतियों पर खुले तरीके से चर्चा नहीं करने, राजनीतिक नकारात्मक टिप्पणियों नहीं करने, अवैध सामाजिक संगठनों की गतिविधियों में भाग नहीं लेने
और अपने या दूसरों के फायदे के लिए अपने पूर्व के पद के प्रभाव का इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहा गया है. सभी प्रकार की गलत सोच का डटकर विरोध करने को भी कहा गया है.
सीपीसी पार्टी कांग्रेस के लिए तैयारियां कर रही है, जो एक दशक में दो बार आयोजित होती है. इस सम्मेलन में शी को एक अभूतपूर्व तीसरे कार्यकाल के लिए समर्थन मिलने की उम्मीद है, जिससे वह पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग के 1976 में निधन के बाद ऐसा समर्थन पाने वाले पहले व्यक्ति बन जाएंगे.
शी ने 2012 में पार्टी का नेतृत्व संभालने के साथ राष्ट्रपति और सैन्य प्रमुख का पद संभालते हुए चीन की जनता का जबरदस्त समर्थन प्राप्त कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाया, जिसमें एक लाख से अधिक अधिकारियों को दंडित किया गया.