भिलाई [न्यूज़ टी 20] तिब्बत में चीन के अत्याचारों के एक के बाद एक चौंकाने वाले घटनाक्रम सामने आए हैं। तिब्बतियों को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नीतियों के तहत मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ रहा है।
खबर है कि एक अज्ञात तिब्बती भिक्षु ने यहां निर्वासित नेता दलाई लामा की तस्वीर के सामने आत्मदाह कर लिया। फायुल की रिपोर्ट के अनुसार, वह गांसु प्रांत में तथाकथित ‘कनल्हो तिब्बती स्वायत्त प्रान्त’ में तिब्बती बौद्ध संस्थानों पर व्यापक कार्रवाई का विरोध कर रहे थे।
धर्मशाला स्थित तिब्बती सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड डेमोक्रेसी (टीसीएचआरडी) की रिपोर्ट से पता चला है कि उनकी मृत्यु के समय, “वे खग्या टाउनशिप में अपने निवास पर एकांतवास में थे। यह टाउनशिप त्सो शहर की प्रीफेक्चुरल कैपिटल के अधिकार क्षेत्र में आता है।”
फयूल की रिपोर्ट के अनुसार, कन्ल्हो प्रान्त के गवर्नर और उप पार्टी सचिव, यांग वू ने मठों पर कंट्रोल करने और भिक्षुओं की साधना में बाधा डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है
कि मृतक भिक्षु के परिवार को त्सो शहर ले जाया गया है, जहां उन्हें कोविड-19 की रोकथाम के उपायों के बहाने एक अज्ञात स्थान पर हिरासत में लिया गया था। सूत्रों ने बताया, “उन्हें इस बहाने हिरासत में लिया जा रहा है,
कि वे संभवतः कोविड से संक्रमित हो गए थे, जब उनका एक रिश्तेदार चीनी शहर से लौटा था।” टीसीएचआरडी के शोधकर्ता न्यावो ने चीनी सरकार की निंदा करते हुए कहा, “एकांतवास पर जाना एक गहन बौद्ध प्रथा है
जो भिक्षुओं को मन पर ध्यान केंद्रित करने और किसी भी साधना को बाधाओं से मुक्त होकर करने में मदद करता है। लेकिन हालात ऐसे हैं कि एक भिक्षु अपने घर पर एकांत आध्यात्मिक प्रथाओं को भी पूरी नहीं कर सकता है। चीनी सरकार तिब्बतियों के दमन की सीमाएं तोड़ रही है।”