Ashes As Soup Of Dead Body: परंपरा और कर्मकांड किसी एक जगह से नहीं सामने आते हैं बल्कि यह पूरी दुनिया में प्रचलित हैं. बस कहीं-कहीं ये ज्यादा हैं तो कहीं अब कम हो गए हैं. इसी कड़ी में दक्षिण अमेरिका की एक अजीब परंपरा के बारे में आइए जानते हैं जहां किसी की मौत के बाद उसके परिजन उसकी लाश को जलाने के बाद जो राख निकलती उसका सूप पीते हैं. इतना ही नहीं कई बार तो लाश को भी प्रसाद मानकर उसका भोजन कर लेते हैं.

अजीब परंपरा में सूप पीना

दरअसल, यह परंपरा दक्षिण अमेरिका में रहने यानोमानी जनजाति से जुड़ी हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां की एक अजीब परंपरा में मृतक को जलाने के बाद बची राख को सूप बनाकर पीते हैं. इस जनजाति के लिए ऐसा करना आम बात है. यानोमानी जनजाति दक्षिण अमेरिका में पाई जाती है और इस जनजाति को यानम या सेनेमा के नाम से भी जाना जाता है. दक्षिण अमेरिका के अलावा यह जनजाति वेनेजुएला और ब्राजील के कुछ इलाकों में भी मिलती है.

मृतक की याद में शोक गीत

रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां लोग अपने ही परिवार के लोगों को मरने के बाद जब जलाते हैं, तो उनकी बची राख के साथ कुछ जीब करते हैं. केले से बनाए गए एक सूप जैसे पदार्थ में डाल लेते हैं. इसके बाद उसमें राख मिलाकर पी जाते हैं. ये वहां की अंतिम संस्कार की एक परंपरा है. इस दौरान ये लोग काफ़ी रोते हैं और मृतक की याद में शोक गीत गाते हैं. ऐसा माना जाता है कि प्रसाद समझकर ऐसा वहां के लोग करते हैं.

एक और परपंरा- एंडोकैनिबेलिज्म

एक अन्य रिपोर्ट में तो यहां तक जिक्र किया गया है कि इसी जनजाति में नरभक्षण की तरह ही एक और रपंरा है, जिसे एंडोकैनिबेलिज्म कहा जाता है. इस परंपरा में इस जनजाति के लोग अपने ही परिवार के मृतक व्यक्ति का मांस खाते हैं. जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो पहले उसे कुछ दिनों के पत्तों आदि से ढककर रखा जाता है. इसमें अधिकतर हड्डियों को जलाया जाता है और शरीर के बचे मांस को खाया जाता है.

अब सवाल है कि वे लोग ऐसा क्यों करते हैं. उनके ऐसा करने के पीछे वजह मृतक की आत्मा को शांति पहुंचाना है. इस जनजाति का मानना है कि जब मृतक के शरीर के आखिरी हिस्से को भी उसके परिवार वाले खा लेते हैं, तो उसकी आत्मा को शांति मिलती है और उसकी आत्मा की रक्षा होती है.

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