रायपुर। राजधानी रायपुर के एक कॉलेज के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची प्रदेश की राज्यपाल अनसुईया उइके ने आरक्षण बिल पर दस्तखत करने के मामले में जो कहा, उससे प्रदेश में बेचैनी है। सियासी पार्टियां सोच में पड़ गई है कि मार्च में क्या होने वाला है। उधर, प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठे अभ्यर्थियों में राज्यपाल के इस बयान से मायूसी पसर गई है। दरअसल, राज्यपाल से कल मीडिया वालों ने आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर का सवाल दागा।

पूछा, गवर्नर मैडम…आरक्षण विधयेक की मंजूरी क्यों अटकी हुई हैं। राज्यपाल मुस्कुराईं। फिए एक लाइन का जवाब…इंतजार कीजिए मार्च तक। लोग इस मार्च का मतलब नहीं समझ रहे कि आखिर मार्च में ऐसा क्या होने वाला है कि राज्यपाल मार्च तक इंतजार करने के लिए बोल रही हैं। आरक्षण विधयेक को विधानसभा में पारित हुए करीब डेढ़ महीने हो गए हैं। बिल राजभवन में अटका हुआ है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस पर कई बार तल्खी व्यक्त कर चुके हैं।

सरकार और राजभवन की तरफ से डाल-डाल, पात-पात एपीसोड भी चला। हाल ही में राजभवन के सिस्टम पर कटाक्ष करता मुख्यमंत्री का एक ट्वीट भी आया था। राज्यपाल के मार्च पर दिए गए बयान पर मुख्यमंत्री का भी बयान आया। उन्होंने आश्चर्य जताया कि राज्यपाल किस मुहूर्त के लिए मार्च तक इंतजार करने के लिए बोल रही हैं। उधर, बिल रोकने की वजह बताते हुए राज्यपाल ने कहा था कि हमने सिर्फ आदिवासियों का आरक्षण बढ़ाने के लिए कहा था।

मगर सरकार ने ओबीसी का भी बढ़ा दिया। जाहिर है, आरक्षण बिल में ओबीसी का आरक्षण बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया गया है। इससे कुल आरक्षण 76 फीसदी हो जाएगा। आरक्षण बिल लटकने से सबसे अधिक नुकसान प्रदेश के प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियां का हो रहा है। पीएससी का इंटरव्यू हो चुका है। मगर रिजल्ट लटका हुआ है।

एसीएफ, रेंजर का इंटरव्यू डेट आ गया था। मगर इसे स्थगित किया गया। इरीगेशन विभाग में 200 इंजीनियरों की भर्ती की पूरी प्रक्रिया हो चुकी है। सिर्फ पोस्टिंग आदेश निकलना था। वो भी रुक गया। ऐसे कई एग्जाम है। कई परीक्षाओं के विज्ञापन भी आरक्षण की पेंंच के चलते जारी नहीं हो पा रहे हैं।  

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