अयोध्याः उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव के नतीजे हैरान कर देने वाले हैं और ये केवल राजनीतिक पार्टियों के लिए ही नहीं बल्कि राजनीतिक पंडितों के लिए भी आश्चर्यचकित कर देने वाला था. हालांकि सबसे अलग नतीजे आए हैं, फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा सीट से, जहां बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह 50 हजार वोटों से हार गए. हर किसी के मन में यह सवाल है कि जहां बीजेपी ने राम मंदिर बनवाया और धूमधाम से इसका उद्घाटन किया, वो सीट बीजेपी कैसे हार सकती है. लेकिन नतीजे अब सामने हैं तो मानने में कोई गुरेज भी नहीं है.

‘राम मंदिर निर्माण को वोट में नहीं बदल पाए’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी के काउंटिंग एजेंट तिवारी कहते हैं, ‘हमने वास्तव में कड़ी मेहनत की, हमने इसके लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन राम मंदिर निर्माण वोट में तब्दील नहीं हुआ.’ मतगणना केंद्र से करीब एक किलोमीटर दूर भाजपा कार्यालय में नतीजों की तस्वीर जैसे-जैसे साफ हो रही थी, वैसे-वैसे सन्नाटा नजर आ रहा था. अयोध्या में राजकीय इंटर कॉलेज, जो फैजाबाद लोकसभा सीट के लिए मतगणना केंद्र के रूप में कार्य करता है, से लगभग एक किलोमीटर दूर, लक्ष्मीकांत तिवारी अयोध्या में लगभग सुनसान भाजपा चुनाव कार्यालय में बैठे हुए थे.

राम मंदिर के उद्घाटन के चार महीने बाद ही हार गई बीजेपी

राम मंदिर के अभिषेक के बमुश्किल चार महीने बाद ही फैजाबाद लोकसभा चुनाव में बीजेपी हार गई, जिसका हिस्सा अयोध्या भी है. पूरे चुनाव प्रचार में राम मंदिर का जिक्र किया गया. यूपी के नतीजों ने उन सभी एग्जिट पोल को भी खारिज कर दिया, जिसमें एनडीए को 71-73 सीटें मिलती हुई नजर आ रही थीं. इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा 370 सीटों के अपने लक्ष्य से काफी पीछे रह गई, अयोध्या में हार विशेष रूप से गंभीर थी।

जमीन अधिग्रहण से स्थानीय लोग नाराज थे

लक्ष्मीकांत तिवारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, “स्थानीय मुद्दे थे, जो केंद्र में थे. अयोध्या के कई गांव के लोग मंदिर और एयरपोर्ट के आसपास हो रहे जमीन अधिग्रहण से नाराज थे. साथ ही, बसपा के वोट सपा को स्थानांतरित हो गए क्योंकि अवधेश प्रसाद एक दलित नेता हैं.’ नौ बार के विधायक और सपा के प्रमुख दलित चेहरों में से एक अवधेश प्रसाद ने लल्लू सिंह को 54,567 वोटों के अंतर से हराया, जो तीसरी बार फिर से निर्वाचित होने की कोशिश कर रहे थे.

प्रसाद ने अपनी जीत के बाद कहा, ‘यह एक ऐतिहासिक जीत है क्योंकि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुझे सामान्य सीट से मैदान में उतारा है. लोगों ने जाति और समुदाय की परवाह किए बिना मेरा समर्थन किया है.’ भाजपा की असाधारण हार में बेरोज़गारी, महँगाई, भूमि अधिग्रहण और ‘संविधान में बदलाव’ की बातें गूंज रही हैं.

‘संविधान बदलने के लिए 400 सीटों की जरूरत’

चुनावों से पहले, निवर्तमान सांसद लल्लू सिंह उन भाजपा नेताओं में से थे, जिन्होंने कहा था कि पार्टी को ‘संविधान बदलने’ के लिए 400 सीटों की आवश्यकता है. मतगणना केंद्र के बाहर इंतजार कर रहे मित्रसेनपुर गांव निवासी 27 वर्षीय विजय यादव ने कहा, ‘सांसद को ऐसा नहीं कहना चाहिए था. संविधान उन प्रमुख मुद्दों में से एक था, जिसे अवधेश प्रसाद (विजेता सपा उम्मीदवार) ने उठाया और अपनी रैलियों में ले गए.’

‘लोगों ने बदलाव के लिए मतदान किया’

विजय यादव ने कहा, ‘पेपर लीक एक और बड़ा कारण था. मैं भी इसका शिकार हूं. क्योंकि मेरे पास नौकरी नहीं है, इसलिए मैंने अपने पिता के साथ हमारे खेतों में काम करना शुरू कर दिया है. लोगों ने यहां बदलाव के लिए मतदान किया क्योंकि हमारे सांसद ने राम मंदिर और राम पथ (अयोध्या की ओर जाने वाली चार सड़कों में से एक) पर अपनी विफलताओं को छिपाने के अलावा यहां कोई काम नहीं किया.’

सरकार के वादों से लोग थे नाराज?

भाजपा कार्यालय के बाहर, अरविंद तिवारी, जो खुद को “भाजपा समर्थक” के रूप में बताते हैं, उन्होंने कहा कि राम मंदिर की भव्यता ने बाहरी लोगों को प्रभावित किया होगा, लेकिन शहर के निवासी इस असुविधा से नाखुश थे. उन्होंने कहा, ‘सच्चाई यह है कि बहुत कम अयोध्यावासी मंदिर में जाते हैं, यहां अधिकांश भक्त बाहरी हैं. राम हमारे आराध्य हैं (हम राम की पूजा करते हैं), लेकिन अगर आप हमारी आजीविका छीन लेंगे तो हम कैसे जीवित रहेंगे? राम पथ के निर्माण के दौरान स्थानीय लोगों से वादा किया गया था कि उन्हें दुकानें आवंटित की जाएंगी. ऐसा नहीं हुआ.’

सपा उम्मीदवार ने लोगों को बसाने की कही बात

अयोध्या के लिए अपनी योजनाओं पर, सपा के विजेता उम्मीदवार ने कहा, ‘भाजपा सरकार ने (मंदिर की ओर जाने वाली सड़कों के चौड़ीकरण के काम के दौरान) बहुत से लोगों को उजाड़ दिया है. मैं उन्हें फिर से बसाने के लिए काम करूंगा.’ मैं उन लोगों को उचित मुआवजा दिलाने के लिए भी काम करूंगा, जिनकी जमीनें छीन ली गई हैं.’

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