हफ्ते में 7 दिन और महीने में 4 हफ्ते होते हैं. ह‍िन्‍दू कैलेंडर हो, या अंग्रेजी कैलेंडर, या फ‍िर इस्‍लामिक कैलेंडर, सबमें यह एक चीज कॉमन है. लेकिन कभी सोचा क‍ि हफ्ते में सात दिन ही क्‍यों होते हैं? आठ, दस, या पांच-चार दिन क्‍यों नहीं? क्‍या इनका नवग्रहों से कोई रिश्ता है? अगर है तो सारे कैलेंडर उसे ही क्‍यों फॉलो करते हैं? आख‍िर ये कांसेप्‍ट आया कहां से? जवाब बेहद चौंकाने वाला है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, 7 अंक सिर्फ हिन्‍दू नहीं तमाम संस्‍कृत‍ियों के ल‍िए महत्‍वपूर्ण रहा है. सबसे पहले जो साक्ष्‍य मिलते हैं, उनके मुताबिक, लगभग 2300 ईसा पूर्व में अक्काद के शासक सर्गोन प्रथम के समय 7 दिनों का सप्ताह बनाया गया. सर्गोन खगोलीय रूप से प्रतिभाशाली बेबीलोन‍ियों (आज का इराक) के राजा राजा थे. वे 7 नंबर की पूजा क‍िया करते थे. यहां के लोग तब दूरबीन के जर‍िये ज‍िन 7 ग्रहों को देख सकते थे, उन्‍हीं के नाम पर इन सातों दिनों का नाम रखा गया. जैसे सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, तथा शनि. इनमें से 5 ग्रह तब नग्‍न आंखों से देखे जा सकते थे.

ग्रहों को ही क्‍यों आधार बनाया गया?

अब आप सोच रहे होंगे क‍ि आख‍िर इस ग्रहों को ही क्‍यों आधार बनाया गया? रिपोर्ट के मुताबिक, महीनों, वर्षों और दिनों का सीधा संबंध खगोलीय घटनाओं से है. जैसे पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना या सूर्य की परिक्रमा पूरी करना. चंद्रमा लगभग 27.3 दिन में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करता है. अमावस्या से पूर्णिमा अथवा पूर्णिमा से अमावस्या के बीच का काल लगभग 14.5 दिन का है.

इसका आधा हुआ 7.25. यानी लगभग सात दिन. इसी तरह एक महीने को 2 पक्षों, प्रत्येक पक्ष को दो हफ्तों में बांटा गया. फ‍िर 52 हफ्तों को मिलाकर एक वर्ष बनाया गया. यहूदी धर्म में मान्‍यता है क‍ि इन 7 दिनों में ही विश्व की रचना हुई थी. रोमन साम्राज्‍य में इन सात ‘ग्रहों’ को क्रमबद्ध रूप से रखकर मानक तय किए गए. लगभग सभी संस्कृतियों में सप्ताह के दिनों को नाम इन दो विधियों से ही दिए गए हैं.

7 दिन का यज्ञोत्‍सव होता था

भारतीय परंपरा में वैदिक काल के दौरान 7 दिन का यज्ञोत्‍सव होता था. किन्तु, इसके साथ दिनों को नाम नहीं दिए गए थे. बाद में सिकंदर जब भारत में आया तो उसने ग्रीक संस्कृति का प्रसार करना शुरू किया. यहीं से सात-दिवसीय सप्ताह की अवधारणा भी फैल गई. हमारे यहां सम्भवतः इसका प्राचीनतम स्वरूप तीसरी शताब्दी में रचित गरुड़ पुराण में है.

यह भारत के यवनों से सम्पर्क के पश्चात रचा गया है. भारत के बाद में चीन ने सात दिवसीय सप्ताह की शुरुआत की. यहूदी और इस्‍लाम धर्म के लोग हफ्ते में एक दिन पूजा-पाठ के लिए रिजर्व रखते थे. बाकी दिन काम करते थे. बाद में तय हुआ क‍ि कोई भी एक दिन धार्मिक कार्य के ल‍िए न‍िकालें.

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