Viral Video : कल्पना कीजिए, यदि आपकी हड्डियां टूटने की बजाय रबर की तरह मुड़ने लगें और आपके दांत मजबूत चोंच जैसे बन जाएं. यह सुनने में साइंस फिक्शन जैसा लगता है, लेकिन हालिया वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार अगले 100 वर्षों में इंसान आज की तुलना में काफी अलग दिखाई दे सकते हैं.
बदलता जलवायु, बढ़ती टेक्नोलॉजी और लगातार जारी इवोल्यूशन मानव शरीर में बड़े परिवर्तन ला सकता है. आइए जानते हैं कि एक सदी बाद इंसान कैसे दिख सकते हैं.
रबर जैसी हो सकती हैं हड्डियां
वैज्ञानिकों को ऐसे संकेत मिले हैं कि भविष्य में इंसानों की हड्डियां शार्क के कार्टिलेज जैसी मजबूत और बेहद लचीली हो सकती हैं. न्यूरोसाइंटिस्ट डीन बर्नेट का कहना है कि आने वाले समय में हड्डियां शॉक को बेहतर तरीके से झेल पाएंगी, जिससे चोट और फ्रैक्चर कम होंगे.
2023 में किए गए 31,000 स्केलेटल एक्स-रे के एआई आधारित विश्लेषण में ऐसे जीन पहचाने गए हैं जो हड्डियों को फ्लेक्सिबल बनाते हैं.साथ ही, 2025 की जेनेटिक रिपोर्ट बताती है कि कुछ जीन वेरिएंट कंधों की चौड़ाई और पैरों की लंबाई तक बदल सकते हैं.
दांतों का आकार बदलकर चोंच जैसा
शेफील्ड यूनिवर्सिटी के डॉक्टर के अनुसार मानव दांतों में भी बड़ा बदलाव संभव है. पफरफिश से प्रेरित होकर भविष्य के इंसान चोंच जैसी मजबूत संरचना वाले दांत विकसित कर सकते हैं. 2023 में स्तनधारियों की दंत विविधता और पुनर्जीवित दांतों पर हुई शोध से संकेत मिलता है कि इंसान भविष्य में दांतों को नई आकृति देने या पूरी तरह से रीजनरेट करने में सक्षम हो सकते हैं.
लंबे और मजबूत होंगे इंसान
पिछली सदी में मानव कद में तेजी से वृद्धि देखी गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह ट्रेंड भविष्य में और आगे बढ़ेगा.जेनेटिक अध्ययनों के आधार पर अनुमान है कि अगले 100 सालों में इंसान आज की तुलना में और ज्यादा लंबे हो सकते हैं.
दिमाग बनेगा सुपर कंप्यूटर
मानव मस्तिष्क शरीर के अन्य हिस्सों की तुलना में तेज गति से विकसित हो रहा है. 2023 की एक स्टडी बताती है कि इवोल्यूशन दिमाग को सुपरकंप्यूटर जैसी क्षमताएं देने की दिशा में ले जा रहा है. फ्यूचरिस्ट इयान पियर्सन के अनुसार 2050 तक ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस तकनीक इंसानों की न्यूरल एक्टिविटी को मशीनों से जोड़ देगी, जिससे अधिक तेज सीखने की क्षमता, बेहतर मेमोरी और जटिल समस्याओं को तुरंत हल करने की क्षमता संभव होगी.
एमआईटी और ब्राउन यूनिवर्सिटी में हुए प्रयोगों से चूहों में मेमोरी ट्रांसफर और नॉन-न्यूरल सेल्स में मेमोरी स्टोर करने की संभावनाएं पहले ही दिख चुकी हैं. 2024 और 2025 की स्टडीज़ बताती हैं कि आने वाले समय में इंसान वर्किंग मेमोरी को न सिर्फ तेज कर सकेंगे, बल्कि इसे बाहरी माध्यमों पर भी स्टोर कर पाएंगे.
गिरगिट की तरह रंग बदलने वाली त्वचा
भविष्य में इंसानों की त्वचा भी बदल सकती है. तनाव, शर्म या उत्साह महसूस होने पर त्वचा का रंग बदल सकता है. 2025 में एडवांस्ड मैटेरियल्स पर हुई एक बड़ी सफलता से पता चलता है कि स्ट्रक्चरल कलर टेक्नोलॉजी बायोलॉजिकल इवोल्यूशन को बढ़ावा दे सकती है.इससे भविष्य में इंसानी त्वचा जलवायु के अनुसार अपना रंग या बनावट बदलने में सक्षम हो सकती है.