रायपुर:
बीते साढ़े चार सालों में हमने छत्तीसगढ़ में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए ऐसी उद्योग नीति बनाई है जिसकी वजह से एनपीए की आशंका ही नहीं है। हमारे यहां सस्ती और पर्याप्त जमीन है। बिजली विपुल मात्रा में उपलब्ध है। सबसे अच्छा आयरन ओर और अन्य संसाधन हमारे यहां हैं। यहां के लोग मेहनतकश और ईमानदार हैं। सड़क नेटवर्क अच्छा है। देश के सभी शहरों से शानदार एयर कनेक्टिविटी है। इस लिहाज से निवेश की सबसे अच्छी संभावनाएं यहां हैं।
इसके चलते बड़ी संख्या में बाहर से निवेश यहां हो रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह बात नई दिल्ली के लीला होटल में आयोजित मिंट इंडिया पब्लिक पालिसी समिट में चर्चा के दौरान कही। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की पहचान पहले नक्सल हिंसा को लेकर थी। हमने तेज आर्थिक विकास के माध्यम से तथा छत्तीसगढ़ की सुंदरता और सांस्कृतिक समृद्धि को सामने लाकर इस पहचान को बदल दिया। हमने नक्सल इलाकों में विकास, विश्वास और सुरक्षा का वातावरण तैयार किया है।
सभी वर्गों को बेहतर आय का अवसर प्रदान किया है जिससे छत्तीसगढ़ निवेश के लिए सबसे बेहतर जगहों में से एक बन गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के समय में छत्तीसगढ़ के किसानों को सबसे ज्यादा कीमत मिल रही है। पिछले साढ़े चार साल से तुलना करें तो दोगुनी धान खरीदी हुई है। मिलेट हम खरीद रहे हैं। पहले लोग गांव से शहर जाते थे अब शहर से गांव आ रहे हैं। अब शहरों की सुविधाएं गांव में मिल रही हैं। बुनियादी सारी सुविधाएं अब गांव में मिल रही है जिससे पलायन रूका है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत जंगल है। यहां लघु वनोपज होते हैं।
पहले इसकी उचित कीमत नहीं मिलती थी। हमने उचित कीमत दिलाई। सीमार्ट के माध्यम से भी इसके वितरण की व्यवस्था कराई। वैल्यू एडीशन से अच्छा पैसा मिल रहा है। इससे आय में अच्छी वृद्धि हो रही है। इससे पलायन रूका है। टूरिज्म के हिसाब से देखें तो यहां जो नेचर है बेमिसाल है। चाहे बस्तर जाएं या सरगुजा जाएं, इतना खूबसूरत है कि वर्णन मुश्किल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को बढ़िया किया। हाट बाजारों में फोकस किया। वहां निःशुल्क जांच और दवा उपलब्ध कराई।
शिक्षा के क्षेत्र में चाहे मेडिकल कालेज खोलने की बात हो अथवा अच्छे स्कूल खोलने की, हमने इसे आरंभ किया। विश्वास जीता, विकास किया और सुरक्षा दी, इस तरह बस्तर में किया कार्य- हमने लोगों का विश्वास जीता, विकास किया और सुरक्षा दी। हमने अपने लोगों से निरंतर संवाद किया। इसका बहुत अच्छा असर हुआ। लोहांडीगुडा में टाटा के लिए जमीन अधिग्रहित की गई थी। उस जमीन को हमने लौटाया। आदिवासियों की उपज खरीदी की व्यवस्था की।
वनोपजों की खरीदी की उचित व्यवस्था की। कैंपों में गये, जवानों से मिले। इससे आम जनता से सुरक्षा जवानों का भी संवाद बढ़ा। संवाद से बड़ा बदलाव हुआ और इससे आपसी विश्वास बढ़ा जिससे सुरक्षा कायम हुई। अब लोगों के पास ट्रैक्टर है। आर्थिक स्थिति सुधरने से बड़ा बदलाव आया है। बस्तर के नौजवानों को हमने अवसर प्रदान किये। दंतेवाड़ा में डैनेक्स हमने आरंभ किया है जिसके माध्यम से 1500 लड़कियां काम करती हैं। नौजवानों को काम मिलेगा तो वो हथियार क्यों उठाएंगे।
दर्शकों ने भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से प्रश्न पूछे- एक दर्शक ने मुख्यमंत्री से प्रश्न पूछा- कका मैं विवेक शुक्ला, चूंकि मैं छत्तीसगढ़ से हूँ इसलिए आपको कका बोल रहा हूँ। छत्तीसगढ़ में आप राम को भांजा कहते हैं राम वन गमन पर्यटन परिपथ बना रहे हैं। ऐसा क्यों। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के बारे में जो धारणा बाहर बनी हुई है उसे बदलना था। अपनी सांस्कृतिक पहचान को दुनिया को बताना था।
हमने यह तय किया। हमने कौशल्या माता के मंदिर का सौंदर्यीकरण किया, विस्तार किया। हमारे यहां भांजे का पैर छूते हैं क्योंकि भगवान श्रीराम हमारे भांजे हैं। हमारी परंपरा है कि जब मिलते हैं तब राम-राम कहते हैं जब विदा लेते हैं तो राम कहते हैं। श्रीराम ने अपने वनवास का सबसे ज्यादा समय छत्तीसगढ़ में गुजारा। हमने इसलिए राम वन गमन पर्यटन परिपथ विकसित किया। हम लोग पहले चरण में 9 जगहों पर इसे चिन्हित कर विकास कर रहे हैं।
राम हमारी छत्तीसगढ़ी संस्कृति में बसे हैं। हमने गायों की सेवा की है। हमने 10 हजार गौठान बनाये हैं और यहां 2 रुपए किलो के हिसाब से गोबर खरीद रहे हैं। जब गोबर खरीदने जाते हैं तो गाय की सेवा भी हो जाती है। रविवि जहां उपाधि वितरण समारोह में गया, वहां 74 प्रतिशत लड़कियां थीं- अंशुमन चौधरी ने पूछा कि महिलाओं के लिए क्या कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कल ही मैं रविवि में उपाधि वितरण समारोह में गया था। वहां 74 प्रतिशत लड़कियां थी जिन्हें डिग्रियां बांटी गई। हर जगह महिलाएं शिक्षा में अग्रणी हैं। हमारी सरकार ने बंद हुए स्कूलों को पुनः आरंभ किया। नक्सल हिंसा की वजह से जो स्कूल बंद हुए, उन्हें हमने पुनः आरंभ किया। हमने स्वामी आत्मानंद स्कूल आरंभ किये हैं ताकि अंग्रेजी शिक्षा को भी बढ़ावा मिल सके।