यूपी सरकार ने सोना-चांदी (Gold-Silver) और कीमती रत्नों को लेकर नया नियम (New Rule) बनाया है. अब यूपी के बाहर सोना-चांदी भेजने पर सर्राफा कारोबारियों को इलेक्ट्रॉनिक बिल यानी ई-वे-बिल (E-Way-Bill) नहीं बनाना पड़ेगा. केंद्र सरकार ने इस बारे में राज्य सरकार को मंजूरी दे दी है. इस नए नियम के तहत अब यूपी से बाहर सोना-चांदी भेजने के दौरान सर्राफा कारोबारी ट्रांसपोर्टर को जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं होंगे. इसके साथ ही यूपी के अंदर दो लाख रुपये से ज्यादा का सोना, चांदी और अन्य कीमती रत्न की खरीद-बिक्री पर ई-वे-बिल बनाना पड़ेगा. यूपी के नए ई-वे-बिल में सोना-चांदी सहित अन्य धातुओं के सुरक्षा व गोपनियता का भी पूरा ख्याल रखा गया है. यह नया नियम एक अक्टूबर से यूपी में लागू हो जाएगा.
बता दें कि पिछले महीने ही जीएसटी काउंसिल की 50वीं बैठक में कई अहम संशोधन किए गए थे. इसके तहत केंद्र सरकार ने राज्य के कमिश्नर को यह अधिकार दिया है कि वह राज्य में दो लाख से खरीद-बिक्री पर ई-वे-बिल को अनिवार्य करें. इसके साथ ही सर्राफा कारोबारियों को दूसरे राज्य में सोना-चांदी और कीमती धातु बेचने पर ई-वे-बिल से राहत मिलेगी.
सोना-चांदी को लेकर यूपी में नया नियम
बता दें कि पहले ट्रांसपोर्टर का नाम, ट्र्क का नंबर, माल के आवागमन की पूरी जानकारी देनी होती थी, लेकिन अब सर्राफा कारोबारियों को ऐसा कोई जानकारी देने की जरूरत नहीं है. नए नियम के तहत अगर कोई भी सोना कारोबारी अपने शहर या राज्य में किसी ग्राहक के घर में माल लेकर जाता है तो उसे ई-वे-बिल बनाना होगा. इसके साथ ही कारीगर के लिए जॉब वर्क के लिए या एख शोरुम से दूसरे शोरुम भेजने पर भी ई-वे-बिल बनाना अनिवार्य होगा. इसके उल्लंघन पर कारोबारी पर 200 फीसदी जुर्माना लगाया जाएगा.
क्या होता है ई-वे-बिल
गौरतलब है इलेक्ट्रॉनिक बिल यानी ई-वे-बिल का मतलब किसी माल के परिवहन से है. डब माल एक जगह से दूसरे जगह भेजा जाता है तो ऑनलाइन दस्तावेज तैयार किया जाता है. इस दस्तावेज में बेचने वाले और खरीदने वाले के साथ-साथ सामान से संबंधित हर तरह की जानकारी देनी होती है. इसे कर चोरी रोकने के ख्याल से शुरू किया गया है. आपको बता दें कि किराना, कपड़ा, लोहा समेत कई सामानों पर ई-वे-बिल लगता है, जिसे यूपी में बदला गया है.
ऐसे में अब यूपी में एक ही गहने के लिए बनाने होंगे कई बार ई-वे-बिल. ऑल इंडिया ज्वेलर्स एसोसिएशन की मानें तो यूपी में 90 प्रतिशत छोटे सर्राफा कारोबारी हैं, जिन्हें एक ही गहना बनवाने के लिए अब कई बार ई-वे-बिल बनाना पड़ेगा. इन कारोबारियों को एक आभूषण बनाने के लिए कई जगहों पर भेजना पड़ता है. ऐसे में हर बार ई-वे-बिल अब जेनरेट करवाना पड़ेगा.