माले: मालदीव की मोहम्मद मुइज्जू सरकार चीन का पूरी तरह से गुलाम होती जा रही है. एक ओर मालदीव को भारतीय सैनिकों की उपस्थिति से दिक्कत है, मगर दूसरी ओर चीनी सैनिकों से उसे उतना ही प्यार है. यही वजह है कि मुइज्जू सरकार चीन से सैन्य मदद लेने को तैयार हो गई है. जी हां, चीन ने सोमवार को मालदीव के साथ ‘मजबूत’ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए मुफ्त सैन्य सहायता प्रदान करने के लिए एक रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किया. यह डेवलपमेंट ऐसे वक्त में आया है, जब राष्ट्रपति मुइज्जू ने मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों की वापसी की डेडलाइन तय कर रखी है.
मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून ने दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करने के लिए चीन के अंतर्राष्ट्रीय सैन्य सहयोग कार्यालय के उप निदेशक मेजर जनरल झांग बाओकुन से मुलाकात की. मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया, ‘मौमून और मेजर जनरल बाओकुन ने मालदीव गणराज्य को मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए चीन के सैन्य सहायता के प्रावधान पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए.’ हालांकि, दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग समझौते में क्या-क्या हुआ है, इसकी डिटेल नहीं दी गई है.
चीन ने एंबुलेंस भी गिफ्ट किया
इतना ही नहीं, चीन ने मालदीव को 12 इको-फ्रेंडली एंबुलेंस भी गिफ्ट किया है. रविवार को स्वास्थ्य मंत्रालय में आयोजित एक समारोह में मालदीव में चीनी राजदूत वांग लिक्सिन ने मालदीव को एम्बुलेंस का उपहार देने वाला पत्र प्रस्तुत किया. ये सारी चीजें ऐसे वक्त में हो रही हैं, जब मालदीव में जियांग यांग हांग थ्री नामक चीनी जासूसी जहाज ने ‘कर्मियों को बदलने और आपूर्ति के लिए’ के लिए बंदरगाह पर लंगर डाला था. 100 मीटर लंबे इस जहाज को 2016 में चीन के सरकारी समुद्री प्रशासन के बेड़े में शामिल किया गया था. चीन में यह एकमात्र 4500 टन का वजनी जहाज है. 2019 से चीन अपने पायलट ओसियन लेबोरेटरी में ‘तट से दूर समुद्र में ’ एवं ‘गहरे सागर’ में सर्वेक्षण के लिए इस जहाज का इस्तेमाल कर रहा है.
श्रीलंका ने दिया था झटका
पांच जनवरी को श्रीलंका ने जियांग यांग हांग थ्री के प्रवेश को अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा था कि उसने अपनी समुद्री सीमा में विदेशी अनुसंधन जहाजों के प्रवेश पर एक साल के लिए रोक लगाने की घोषणा की है. भारत ने अपने पड़ोस में चीन के अनुसंधान जहाजों के लंगर डालने पर चिंता प्रकट की थी. संयोग से यह चीनी जहाज भारत-मालदीव-श्रीलंका त्रिपक्षीय ‘दोस्ती-16’ अभ्यास के स्थल के समीप ही था. यह अभ्यास 22 फरवरी और 25 फरवरी के बीच हुआ था.
चीनी जहाज पर क्या आरोप?
नई चीन समर्थक मालदीव सरकार ने 23 जनवरी को कहा था कि उसने अनुसंधान एवं सर्वेक्षण की सुविधाओं से लैस इस अनुसंधान जहाज को माले बंदरगाह पर ठहरने की अनुमति दी है क्योंकि उसका पड़ाव कर्मियों की पाली बदलने के लिए था तथा यह ‘मालदीव समुद्री सीमा में रहने के दौरान कोई अनुसंधान नहीं करेगा.’ एक अमेरिकी थिंक टैंक ने आरोप लगाया गया है कि चीनी ‘वैज्ञानिक अनुसंधान’ जहाजों का विशाल बेड़ा सैन्य मकसदों खासकर पनडुब्बी संचालन के लिए हिंद महासागर क्षेत्र समेत सागरों से आंकड़ा जुटा रहा है. चीन ने इस आरोप का खंडन किया है. उसका कहना है कि उसके जहाज संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि के तहत संचालित होते हैं.
मुइज्जू के आने के बाद से भारत संग बिगड़े रिश्ते
बता दें कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने देश से भारतीय सैन्यकर्मियों के पहले समूह की वापसी के लिए 10 मार्च की समयसीमा तय की थी. पिछले साल नवंबर में मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में कुछ तनाव आ गया था. व्यापक रूप से चीन समर्थक नेता के रूप में देखे जाने वाले मुइज्जू ने राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद कहा था कि वह भारतीय सैन्यकर्मियों को अपने देश से बाहर निकालने के अपने चुनावी वादे को निभाएंगे. मुइज्जू ने पिछले साल सितंबर में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में भारत के मित्र माने जाने वाले तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हरा दिया था.