रायपुर / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक सुुराजी गांव योजना के तहत संचालित नरवा विकास योजना (भू-जल संरक्षण कार्य), लघुवनोपज संग्रहण, प्रसंस्करण एवं विपणन एवं अन्य नवाचारी योजनाओं के अवलोकन तथा प्रशिक्षण हेतु इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून द्वारा भारतीय वन सेवा के 2021-2023 बेच के 33 प्रशिक्षु अधिकारियों को छत्तीसगढ़ प्रवास पर भेजा गया है। वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होते हुए भारतीय वन सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को प्रोत्साहित किया।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ लघुवनोपज संघ द्वारा वर्तमान में 65 लघु वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य है। छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने तथा कृषकों कीे आय को बढ़ाने के लिए सुराजी गांव योजना के तहत नरवा-गरवा-घुरवा और बाड़ी योजना संचालित की जा रही है। जिसके तहत नरवा विकास कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।
ऐसे ही प्रदेश के वानिकी गतिविधियों के संबंधित अनेक कल्याणकारी योजना एवं कार्यक्रमों की प्रशिक्षण हेतु भारतीय वन सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को 13 जनवरी को नवा रायपुर, अटल नगर में स्थित अरण्य भवन में दिया गया। कार्यक्रम में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख, छत्तीसगढ़ संजय शुक्ला, द्वारा छत्तीसगढ़ में लघु वनोपजों के संग्रहण, प्रसंस्करण एवं विपणन की दिशा में कराये जा रहे कार्यों की सारगर्भित जानकारी देते हुए नव चयनित भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया।
अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक तपेश कुमार झा, द्वारा वन विभाग की विभिन्न गतिविधियों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गयी। इसी कड़ी में मुख्य कार्यपालन अधिकारी (कैम्पा) व्ही. श्रीनिवास राव. द्वारा प्रदेश में नरवा योजना के अंतर्गत वनक्षेत्र में स्थित नालों के बारहमासी स्वरूप को अक्षुण्ण बनाये रखने हेतु उनके जल ग्रहण क्षेत्रों में रिज टू वैली एप्रोच आधारित भू-जल संरक्षण कार्यों के क्रियान्वयन की तकनीकी से अवगत कराया गया तथा भू-जल संरक्षण कार्यों का जी.आई.एस. पद्धति से डी.पी. आर तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया।
इस प्रशिक्षण सत्र में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (संयुक्त वन प्रबंधन) एवं सदस्य सचिव, छत्तीसगढ़ जैव विविधता बोर्ड अरूण पांडे द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में संयुक्त वन प्रबंधन की गतिविधियों तथा बायोडायवर्सिटी के संरक्षण एवं विकास हेतु किये गये कार्यों के संबंध में भी प्रशिक्षु अधिकारियों को विस्तृत जानकारी दी गयी। इस अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून के निदेशक भरत ज्योति तथा प्रदेश के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।