धरती के अंदर कई राज छुपे हुए हैं. खुदाई के दौरान जब वे सामने आते हैं तो हम चकित रह जाते हैं. ऐसे ही एक राज से बीते दिनों पर्दा उठा. पता चला कि हजारों साल पहले गंभीर रूप से बीमार बच्चों का किस तरह इलाज किया जाता था और मरने के बाद उनके साथ क्या होता था? इस रिसर्च से गंभीर बीमारियों के बारे में बहुत पुख्ता सबूत मिलने की उम्मीद है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम ने 6 प्राचीन मानव अवशेषों के डीएनए का विश्लेषण किया. एक शख्स का नमूना फिनलैंड के कब्रिस्तान से 17वीं या 18वीं शताब्दी में लिया गया था, जबकि शेष पांच व्यक्तियों का नमूना 2,500 से 5,000 साल पहले का था. इसे ग्रीस और बुल्गारिया से इकट्ठा किया गया था. इन लोगों में सीखने की क्षमता बेहद कम पाई गई. सभी गंभीर एडवर्ड्स सिंड्रोम का शिकार थे. इस तरह का डाउन सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति में एक अतिरिक्त गुणसूत्र पैदा हो जाता है. आज लगभग हर 1,000 लोगों में से एक में ऐसा दुष्प्रभाव देखने को मिलता है. आज ऐसे लोग आधुनिक चिकित्सा के जरिये लंबे वक्त तक जी सकते हैं, लेकिन अतीत में ऐसा नहीं था.
बेहद कम उम्र में हो गई थी मौत
नेचर कम्युनिकेशंस मैगजीन में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक, जो कंकाल मिले थे उनसे पता चला कि सभी 6 व्यक्तियों की मौत बेहद कम उम्र में हो गई थी. सिर्फ एक बच्चा था, जो एक साल की उम्र तक जीवित रहा. जब इन्हें दफनाया गया तो इनके साथ रंगीन हार, कांस्य की अंगूठियां और सीपियां भी दफनाई गईं. ऐतिहासिक साक्ष्य बताते हैं कि लौह युग के दौरान स्पेन में लोग मृतकों का दाह संस्कार करते थे. लेकिन शोधकर्ताओं ने देखा कि इस बच्चे को एक सजाए गए घर में फर्श के नीचे दफना दिया गया था. उसके आसपास के घरों में भी फर्श के नीच दर्जनों अन्य बच्चों को दफनाया गया था.