
शिक्षा नीति 2008 की धज्जियाँ उड़ा रहे अधिकारी
छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था का हाल अत्यंत गंभीर हो चुका है। शिक्षा विभाग की बिगड़ी हुई स्थिति में, शिक्षा नीति 2008 का पालन नहीं किया जा रहा और अधिकारी अपनी तानाशाही से शिक्षा व्यवस्था को खामोशी से नष्ट कर रहे हैं। यहां, शिक्षकविहीन और अतिशेष नियुक्तियों के बीच उच्चाधिकारियों की सत्ता का खेल चलता है।

सिस्टम में भारी असमानताएँ
राज्य सरकार की ओर से स्कूलों में शिक्षकों की संख्या और नियुक्तियों का कोई उचित पैमाना नहीं है। उदाहरण के तौर पर, रायपुर के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अमलीडीह में 551 छात्र हैं, लेकिन यहां सिर्फ 11 शिक्षक ही काम कर रहे हैं, जबकि सत्र 2024-25 के लिए इस स्कूल को 16 शिक्षक की जरूरत है।
युक्तियुक्तकरण के नाम पर हेराफेरी
शिक्षक पदों पर युक्तियुक्तकरण के नाम पर लगातार बदलाव किए जा रहे हैं, जिसके कारण छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलना मुश्किल हो रहा है। कई स्कूलों में तो शिक्षक नहीं हैं और कुछ विद्यालयों में अतिशेष शिक्षक दिखाकर उन्हें हटाया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
प्राचार्य की अपील: शिक्षकों की कमी दूर करने की मांग
प्राचार्य ने बार-बार पत्राचार कर अधिकारियों से अमलीडीह विद्यालय में शिक्षकों की कमी को दूर करने की मांग की है। हालांकि, अधिकारियों ने इस पर कोई गंभीर कदम नहीं उठाया है। अगर जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया, तो आगामी शिक्षा सत्र में छात्रों की शिक्षा प्रभावित हो सकती है।
निलंबित शिक्षिका की बहाली में सवाल
शिक्षा विभाग के भीतर निलंबित शिक्षिका की बहाली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। मात्र चार महीने में निलंबित शिक्षिका को बहाल किया गया, जबकि शिक्षा विभाग को अपनी प्राथमिकता शिक्षकों की नियुक्ति और छात्रों के बेहतर भविष्य पर केंद्रित करनी चाहिए थी।
अमलीडीह स्कूल की स्थिति पर गंभीर चिंता
अमलीडीह स्कूल में शिक्षक नियुक्ति के मामले में अभी तक कोई सुधार नहीं किया गया है। अगर इस स्थिति को ठीक नहीं किया गया, तो आने वाले समय में यह विद्यालय अन्य स्कूलों की तरह अपनी स्थिति से बाहर निकलने में असमर्थ होगा।
