भारत का कट्टर दुश्मन है ये देश, उल्टे करता है सब काम, दहेज का है अजब नियम!

भारत के कट्टर दुश्मनों की बात हो तो पाकिस्तान और चीन के नाम सबसे ऊपर आते हैं. सीमा विवाद, व्यापार युद्ध और राजनीतिक तनाव के बीच चीन की एक परंपरा आपके होश उड़ा देगी. वहां शादी में दहेज लेने की बजाय लड़के की फैमिली दुल्हन की तरफ लाखों रुपये और तोहफे देती है! इसे ‘कैलि’ (caili) कहते हैं, जो ब्राइड प्राइस का चाइनीज रूप है. भारत में दुल्हन की फैमिली दहेज देती है, जो कानूनी अपराध है, लेकिन चीन में उल्टा नियम है. यहां लड़के वाले ‘सच्चाई’ और सम्मान दिखाने के लिए पैसे देते हैं.

कैलि की जड़ें चाइनीज इतिहास में हैं, जो झोउ राजवंश (1046-256 ईसा पूर्व) से चली आ रही है. यह ‘रंगीन तोहफे’ का प्रतीक है- नकदी, गहने, घरेलू सामान. हर लड़का औसतन राष्ट्रीय स्तर 69,000 युआन (लगभग 8.2 लाख भारतीय रुपये) देता है, लेकिन जियांग्सू जैसे अमीर प्रांतों में 2 लाख युआन (24 लाख रुपये) तक पहुंच जाता है.

ग्रामीण इलाकों में तो 3-4 लाख युआन की मांग आम है जो शादियों को टाल देती है. 2023 के आंकड़ों के मुताबिक, चीन में शादियां 10% घटी हैं क्योंकि युवा पुरुष कैलि का बोझ नहीं उठा पा रहे हैं. चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट कहती है कि जेंडर इम्बैलेंस जो 2025 में 30 मिलियन ज्यादा पुरुष हो चुकी है, ने ब्राइड प्राइस को आसमान पर पहुंचा दिया है.

भारत से उलट हालात

भारत से तुलना करें तो दोनों प्रथाएं पितृसत्तात्मक हैं, लेकिन दिशा उल्टी है. भारत में दहेज (dowry) दुल्हन की फैमिली से लड़के की तरफ जाता है जो महिला उत्पीड़न का कारण है. 1961 का दहेज निषेध कानून होने के बावजूद सालाना 8,000 मामले दर्ज किये जाते हैं. वहीं चीन में कैलि लड़के की फैमिली से दुल्हन की तरफ जाता है जो ‘मां का आशीर्वाद’ दिखाता है.

लेकिन समस्या समान है- आर्थिक दबाव. एक चाइनीज सोशलॉजिस्ट शर्ली कै ने कहा, “कैलि महिलाओं को मूल्यवान बनाती है, लेकिन पुरुषों को कर्जदार.” भारत में दहेज से लड़कियां बोझ मानी जाती है जबकि चीन में ‘एक बच्चा नीति’ के बाद लड़कियां दुर्लभ हो चुकी हैं. इसलिए इनकी प्राइस हाई है.

सरकार उठा रही कदम

2025 में चाइनीज सरकार ने कैलि पर लगाम कसने के कदम उठाए. जनवरी में ग्रामीण इलाकों में ‘सरलीकृत शादी गाइडलाइंस’ जारी की गई जिसमें ब्राइड प्राइस 10,000 युआन (1.2 लाख रुपये) से ज्यादा ना हो, इसका फैसला लिया गया. शादियों में मेहमान 30 से कम होने चाहिए और तोहफे सीमित कर दिए गए.

शेनझेन जैसे शहरों में ‘नो कैलि’ कैंपेन चला, जहां युवा जोड़े इसे ‘पुरानी रस्म’ बता रहे हैं. लेकिन ग्रामीण चीन में विद्रोह भी देखने को मिला. कुछ गांवों में 3.8 लाख युआन की मांग की गई जो ग्वांगडोंग के औसत 42,000 युआन से दोगुना है. एक सर्वे में 60% युवा महिलाओं ने कहा कि कैलि जरूरी है क्योंकि ‘यह सुरक्षा की गारंटी’ है. वहीं पुरुषों में 40% ने शादी कैलि के कारण टाल दी.

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