Scarab Bracelet of Tutankhamun: तूतनखामुन (Tutankhamun), जिसे King Tut के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन मिस्त्र का एक फिरौन (राजा) था, जिसने 1332-1323 BC तक शासन किया था. जब तूतनखामुन छोटा था, तब उसके लिए एक स्कारब ब्रेसलेट (Scarab Bracelet) बनाया गया था, जिसे प्राचीन मिस्र के गहनों (Egyptian Jewelry) की मास्टरपीस माना जाता है. आखिर तूतनखामुन के ब्रेसलेट के ऊपर स्कारब बीटल क्यों बनाया था. इसकी वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे!
दिखने में कैसा है ये ब्रेसलेट?: एक रिपोर्ट के अनुसार, इस स्कारब ब्रेसलेट का डिजाइन अद्भुत है, जो सोने से बना हुआ है, जिसके टॉप पर गहरे नीले रंग का स्कारब बीटल बना हुआ है. साथ ही लापीस-लाजुली (Lapis-lazuli), कारेलियन (Carnelian), फिरोजा (Turquoise ) जैसे कीमती पत्थरों से सजा हुआ है. आप तस्वीर में इस ब्रेसलेट की बनावट को और अच्छे से देख सकते हैं.
इन चीजों का प्रतीक है स्कारब
प्राचीन मिस्र के दौरान स्कारब को दैवीय रूप में माना गया है. उसके कल्चर में स्कारब को सुबह के सूरज (Morning sun), पुनर्जन्म (Rebirth) और सुरक्षा (protection) का प्रतीक माना गया, यही वजह है कि ये बीटल आभूषणों पर बनाए जाने के लिए काफी पॉपुलर था. हालांकि, इस ब्रेसलेट का डायमीटर छोटा है, जिससे पता चलता है कि ये राजा तूतनखामुन के लिए तब बनाया गया था, जब वह एक बच्चा था.
ब्रेसलेट पर क्यों है स्कारब बीटल?
मिस्रवासियों ने सूर्य देवता के प्रतीक (Symbol of the Sun God) के रूप में भी स्कारब (Scarab) को अपनाया, क्योंकि उन्होंने इस कीड़े को जमीन पर गोबर का गोला घुमाते हुए देखा था और इस कीड़े की इस क्रिया से उनको पता चला कि उसमें अृदश्य शक्ति (Invisible Power) है, जो हर दिन सूर्य को घुमाती है. पूरी आकाश को एक स्कारब के रूप में सचित्र रूप (Pictorially) से दर्शाया जा सकता है.
Egyptian Scarab Bracelet, from Tomb of Tutankhamun (1341-1323 BC), and was made with Gold, Lapis-lazuli, Carnelian, Turquoise and other semi-precious stones.
The scarab has been deified during Ancient Egypt. Its shape was related to the god Jepri in the graphic representation… pic.twitter.com/heUxtYqeYG
— Archaeo – Histories (@archeohistories) December 13, 2023
‘मृत्यु से सुरक्षा का एक ताबीज था’
वहीं, archeohistories के ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पोस्ट के अनुसार, चित्रलिपि (Hieroglyphs) से लेकर गहनों, मूर्तियों और नक्काशी तक हर चीज में स्कारब को अक्सर चित्रित किए जाने का कारण यह लोकप्रिय धारणा है कि यह बीमारी और मृत्यु से सुरक्षा का एक ताबीज था. इसने न केवल उन लोगों की रक्षा की, जो जीवित रहते हुए इसे ताबीज के रूप में पहनते थे, बल्कि जब इसे मृतकों के बगल में रखा जाता था तो इसका मतलब था कि वे पुनर्जीवित हो सकते थे और इस तरह शाश्वत जीवन (अमरता) प्राप्त कर सकते थे.