अगर आपसे कोई कहे कि सिर्फ 12 पौधे और 5 जानवर दुनिया का पेट भर रहे हैं, तो शायद ही आपको यकीन होगा. लेकिन यह 100 फीसदी सच है. दुनिया के 400 करोड़ लोग अपनी भूख मिटाने के लिए इन चंद पौधों और जीवों पर निर्भर हैं. अगर ये न रहें तो इंसान के लिए जीना मुश्किल हो जाएगा. पेट भरना मुश्किल हो जाएगा. योंकि 75 फीसदी से ज्यादा खाना इन्हीं से आता है. इनमें ज्यादातर के नाम तो आप जानते होंगे, लेकिन कुछ नाम चौंकाने वाले भी हैं.
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन की रिपोर्ट (FAO database) के मुताबिक, दुनियाभर में पौधों की 3 लाख से ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं. लेकिन सिर्फ 30 हजार प्रजातियां ही ऐसी हैं, जिन्हें खाने के बारे में इंसान सोच सकता है. इनमें से 7 हजार प्रजातियों को इंसानों ने किसी न किसी दौर में जरूर उगाया है. कभी खाने के लिए तो कभी कृषि की जरूरतों को पूरा करने के लिए. मगर ऐसी प्रजातियों की संख्या सिर्फ 255 है, जिनके ईद-गिर्द इंसानों का फूड साइकल चलता है. इनमें से भी सिर्फ 12 पौधे ऐसे हैं, जो 61 फीसदी इंसानों का पेट भरते हैं. इनमें गेहूं, चावल, मक्का, गन्ना, सोया, आलू, पॉम ऑयल, कसावा, शकरकंद, मुंगफली, मिलेट्स और ज्वार शामिल हैं.
59 तरह के फल खाता है इंसान
गेहूं, चावल, मक्का, गन्ना और आलू तो भारत में भी ज्यादातर घरों में इस्तेमाल होता है. गेहूं तो दुनिया में सबसे ज्यादा खाया जाने वाला अन्न है. क्योंकि इसी से ब्रेड बनती है, तो इसी से बिस्किट भी. इसी तरह चावल का भी इस्तेमाल दूसरे नंबर पर होता है. मक्का और आलू तो हर घर का हिस्सा होते हैं. गन्ने से शुगर बनता है, जो हर घर में प्रयोग होत है. रिपोर्ट के मुताबिक, 26 तरह के अनाज, 17 तरह के जड़, 26 तरह की दालें, 44 तरह की सब्जियां और 59 तरह के फल इंसान खाते हैं.
सुपरमार्केट में भी सिर्फ 4 चीजें मिलेंगी
आप सुपरमार्केट में जाएं और तलाशने की कोशिश करें तो आपको सिर्फ 4 उत्पादों गेहूं, गन्ना, चावल और मक्का से बनी हुई चीजें ही मिलेंगी. इन्हीं से ज्यादातर खााद्य प्रोडक्ट बनते हैं. क्योंकि ये फसलें कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन से भरपूर होती हैं. इसके बाद बात आती है, सबसे ज्यादा खाए जाने वाले जानवरों की. इनमें मुर्गी, गाय, भैंस, बकरी और सुअर का नाम आता है. आप जानकर हैरान होंगे कि सिर्फ ये 5 जीव दुनिया के 14 फीसदी लोगों का पेट भरते हैं. उनके मांस, दूध और पोल्ट्री प्रोडक्ट लोग खाने में इस्तेमाल करते हैं. इन्हीं से बहुत सारे उत्पाद बनाए जाते हैं. यहां तक कि दवाओं में भी इनका भरपूर इस्तेमाल किया जाता है.