युद्ध का जिक्र आते ही चारों ओर लाशों के ढेर, बमबारी, गोलीबारी करते सैनिकों का ख्याल मन में आता है. रूस-यूक्रेन, इजरायल-हमास युद्ध सबके सामने है, जिसमें हजारों लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि दुनिया में एक युद्ध ऐसा भी हुआ जो शांतिपूर्ण था, जिसमें एक भी शख्स की जान नहीं गई, तो क्या आप यकीन करेंगे? शायद नहीं, लेकिन यह बात 100 फीसदी सच है. यह युद्ध 30 साल तक चला और एक भी नागरिक की इसमें मौत नहीं हुई. यहां तक कि गोलियां भी नहीं चलीं. जंग भी कोई ऐसी-वैसी नहीं, दो मजबूत मुल्कों के बीच थी. पूरा मामला जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
हम बात कर रहे डेनमार्क और कनाडा के बीच युद्ध की. 1970 से ये युद्ध चला आ रहा था और पिछले साल इसमें एक समझौता हुआ. दोनों देश एक बंजर द्वीप के लिए आपस में लड़ रहे थे, जिसका नाम हंस आइलैंड है. आर्कटिक चैनल में एक वर्ग किलोमीटर से थोड़े बड़े आकार का यह द्वीप निर्जन है. मौसम स्टेशन के अलावा यहां कुछ भी नहीं. कोई रहता नहीं. कोई प्राकृतिक संसाधन भी नहीं. लेकिन 30 साल से कनाडा और डेनमार्क इस पर अपना कब्जा होने दावा कर रहे थे. नतीजा, दोनों देश बारी-बारी से अपनी सेना को छोटे से द्वीप पर भेजते थे. बार-बार अपना झंडा फहराते थे और दूसरे देश का झंडा हटाकर फेंक देते थे.
1984 में चरम पर था तनाव
दोनों देशों के बीच कई बार तनाव काफी ज्यादा बढ़ जाता था. 1933 में लीग ऑफ नेशंस ने डेनमार्क के पक्ष में फैसला सुनाया था. लेकिन लीग ऑफ नेशंस के खत्म होने के बाद कनाडा ने उस फैसले को मानने से इनकार कर दिया. 1984 में ये मुद्दा उस वक्त गरमा गया, जब कनाडाई सेना ने द्वीप पर एक झंडा लगाया और ‘वेल्कम टू कनाडा’ लिखकर व्हिस्की की एक बोतल छोड़ी. एक हफ्ते बाद डेनमार्क के मंत्री उस झंडे को हटाने के लिए हंस आइलैंड पहुंच गए. शराब की एक बोतल और एक नोट छोड़ा, जिसमें लिखा था, ‘डेनमार्क में आपका स्वागत है’.
पिछले साल ही खत्म हुआ ये युद्ध
डेनमार्क के एक मंत्री हंस आइलैंड पहुंच गए. वहां डेनमार्क का झंडा लगाया और ‘वेल्कम टू डेनिश आइसलैंड’ लिखकर एक शराब की बोतल छोड़ दी. बाद में डेनमार्क के सैनिक भी वहां पहुंच गए और अपने देश का झंडा लगाकर ‘वेल्कम टू कनाडा’ लिख दिया. उन्होंने भी व्हिस्की की एक बोतल छोड़ दी. तब से बार-बार दोनों देशों की सेनाएं यही काम कर रही थीं. इसी वजह से इसे ‘व्हिस्की युद्ध’ भी कहा गया. सुनने में यह मजाक लगता होगा, लेकिन इसके पीछे गंभीर तनाव था. मगर पिछले साल ये शांतिपूर्ण युद्ध खत्म हो गया. पिछले साल कनाडा और डेनमार्क के बीच एक समझौता हुआ. दोनों देशों ने द्वीप का आधा-आधा हिस्सा बांट लिया. डेनमार्क के किनारे वाला भाग डेनमार्क को मिला और कनाडा की तरफ जो हिस्सा था, वो कनाडा को मिला.