अमेरीका के टेक्सस की 240वीं डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज सुरेंद्रन के पट्टेल बचपन से केरल में बीडी़ बनाया करते थे। घर की हालत ऐसी थी कि दिन भर बीडी़ मजदूर का काम करते तभी उनके घर का चूल्हा जलता और दो वक्त की रोटी नसीब होती थी। बीबीसी से हाल ही में साक्षात्कार में जज सुरेंद्रन के पट्टेल ने अपने संघर्षमयी जीवन के उन पहलुओं को कुरेदा जिसे पहले कभी किसी से भी साझा करने में उन्हें झिझक होती थी।\
उन्होंने बताया कि जब मैं 13 साल का था तब मैंने अपनी सबसे बड़ी बहन को खो दिया। बहन की धुंधली सी याद और स्नेह उनके हृदय को आज भी झिंझोड़ देता है। बहन का अचानक ऐसे दुनिया से चले जाना सुरेंद्रन के मन मस्तिष्क को आज भी कचोटता है। उन्हें आज भी लगता है कि उस मामले में न्याय नहीं हुआ। बडी़ बहन की मौत को खुदकुशी बताया गया था लेकिन इसके पीछे एक बड़ा कारण था, इसलिए सुरेंद्रन को कभी नहीं लगा कि इस मामले में न्याय हुआ है।
तब का वह आत्मघात, हृदय में इतना बलवती हो गया कि मुफलिसी में भी खुद की कड़ी मेहनत की बदौलत सुरेंद्रन ने महंगी कानूनी पढ़ाई को चुना। अथक परिश्रम और वकील बनने की ललक में सुरेंद्रन ने खुद को झोंक दिया, क्या दिन क्या रात। कमरतोड़ काम और बचे समय में पढाई। हाईस्कूल के बाद कानूनी परीक्षा पास करते ही सुरेंद्रन केरल में वकील बने फिर सुप्रीम कोर्ट में भी प्रैक्टिस की और उसके बाद अमेरिका चले गए। अब अमेरिका में उनकी एक विशेष पहचान है, जी हां वे टेक्सस की 240वीं डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज हैं।