आज हम आपका मुफलिसी भरा जीवन जीने वाले उस युवक से परिचय कराने जा रहे हैं जिसे दोस्त से धोखा दे कोचिंग से ही निकाल दिया था, वह हर सुबह अखबार बांटने निकल पड़ता, कुछ पैसे मिलते तो उसे भी किताबों में खर्च कर कडी़ मेहनत करता रहा, उधार में नोट्स और स्टडी मटेरियल ले जी जान से मेहनत कर अपना ज्ञान बढ़ाता गया और फिर वह आखिरकार IAS ऑफिसर बन ही गया!
हम बात कर रहे हैं आईएएस निरीश राजपूत, जिनकी कहानी और जीवन के झंझावतों का दर्द आपको जरूर प्रेरणा देगा। आर्थिक रूप से सशक्त नहीं होने की वजह से उन्हें कई परेशानियां झेलनी पड़ी़ं। अगर आपको UPSC में सक्सेस होना है तो आपके इरादे जरूर पक्के और मजबूत होने चाहिए क्योंकि यहां स्मार्ट तरीके से मेहनत करने वाले ही सफल हो पाते हैं।
निरीश को दोस्तो से धोखा मिला जरूर लेकिन फिर भी उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा के पास करने के लिए कड़ी मेहनत की। उन्हें ये सफलता यूं ही नहीं हासिल हो गई, इसके पीछे उन्होंने कई संघर्ष किए। उन्होंने ये भी साबित कर दिया कि गरीबी आपकी सफलता में बाधक नहीं बनती है। निरीश बेहद गरीब परिवार से आते हैं। मूल रूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। निरीश के पिता विरेंद्र राजपूत पेशे से दर्जी हैं और उनके दोनों बड़े भाई टीचर हैं।
निरीश को आईएएस बनाने के लिए दोनों भाइयों और पिता ने अपनी पूरी कमाई लगा दी थी। निरीश ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें तैयारी करने से पहले इसके बारे में कुछ खास नहीं पता था लेकिन ये जरूर पता था कि “आईएएस बनकर जिंदगी बदल जाती है।” निरीश के घर की हालत भले ही खस्ताहाल हो लेकिन उन्होंने बीएससी और एमएससी दोनों परीक्षा में टॉप किया था। इसके बाद उनके एक दोस्त ने अपनी नई कोचिंग में उन्हें यूपीएससी (UPSC) की तैयारी कर रहे छात्रों को पढ़ाने का मौका दिया।
इसके बदले उस दोस्त ने निरीश को स्टडी मैटेरियल देने का वादा किया था। विभाग दो वर्षों की मेहनत के बाद वह कोचिंग संस्थान तरक्की की राह पर बढ़ चला लेकिन निरीश की जिंदगी में भूचाल आया। दोस्त ने निरीश को वहां से निकाल दिया। इसके साथ ही पढ़ाई का साधन भी बंद हो गया। निरीश इतने गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे कि उन्हें फीस जमा करने में भी दिक्कत आती थी। उन्होंने कई बार अखबार बांटकर अपनी फीस का इंतजाम किया।
ऐसे कठिन हालात में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने के बारे में न सिर्फ सोचा बल्कि उसमें सफल होकर ऑफिसर भी बने। घर के आर्थिक हालात अच्छे नहीं थे, वे वहां तो मुश्किलों का सामना कर ही रहे थे। इसके अलावा उनके खास दोस्त ने और ज्यादा टेंशन दे दी। दरअसल, उनके दोस्त ने UPSC परीक्षा के लिए कोचिंग इंस्टिट्यूट खोला था, जहां सिविल सर्विस की तैयारी करने वाले बच्चों को वे पढ़ाते थे, लेकिन कुछ सालों बाद जब संस्थान अच्छे से चलने लगा तो उनके दोस्त ने उन्हें वहां से निकाल दिया।
इस धोखे के बाद वे दिल्ली चले गए और उन्होंने यहां UPSC परीक्षा की तैयारी कर एक दोस्त से मदद मांगी। दरअसल, उनके पास कोचिंग ज्वॉइन करने के लिए पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने दोस्त से नोट्स उधार लिए और मेहनत कर 370वीं रैंक हासिल की।यकीनन आप भी जानते होंगे कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सर्विसेज परीक्षा को देश ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षाओं में एक माना जाता है।
इस परीक्षा के 3 चरणों को पार कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं। यही कारण है कि इस परीक्षा में चुनिंदा लोगों को ही सफलता नसीब होती है। मध्य प्रदेश के रहने वाले निरीश राजपूत की कहानी भी कुछ ऐसी ही है जो सिर्फ यह जानते थे कि “आईएएस बनकर जिंदगी बदल जाती है।”