पानी के बिल से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए केजरीवाल सरकार जल्द ही एकमुश्त निपटाने की योजना लाएगी। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को बताया कि जल बोर्ड के अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर इसकी योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। दिल्ली जल बोर्ड की 164वीं बोर्ड बैठक में दिल्ली के लोगों को चौबीस घंटे साफ पानी उपलब्ध कराने और पानी के पुराने बिलों के निपटारे को लेकर महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।

केजरीवाल सरकार 2025 तक यमुना की सफाई पूरी करने, हर घर को चौबीस घंटे साफ पानी देने और सभी अनाधिकृत कॉलोनियों के घरों को सीवर लाइन से जोड़ने की योजना पर तेजी से काम कर रही है। बोर्ड बैठक के बाद आयोजित पत्रकार वार्ता में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि बैठक में पानी के बिल से जुड़ी लोगों की शिकायतों को लेकर अहम निर्णय लिया गया। काफी लोगों को परेशानी थी कि पानी के बिल ज्यादा आ रहे हैं।

एक हफ्ते में तैयार होगी योजना

उप मुख्यमंत्री ने बताया कि कुछ लोगों को गलत बिल आने की समस्या थी। इसे देखते हुए वन टाइम सेटलमेंट योजना लाने का निर्णय लिया गया है। जल बोर्ड के अधिकारी एक सप्ताह में योजना तैयार करेंगे कि जिन लोगों को लगता है कि उनका गलत बिल आ रहा है, उसका सेटलमेंट किया जाएगा।

उपभोक्ता स्वयं भी मीटर बदल सकेंगे 

सिसोदिया ने बताया कि अब उपभोक्ता स्वयं भी खराब पड़े पानी के मीटर को बदल सकेंगे। इसके साथ ही करोल बाग, पटेलनगर, राजेन्द्र नगर, आनंद पर्वत, जखीरा में 300 किलोमीटर की नई पाइपलाइन डाली जाएगी ताकि लोगों को 24 घंटे पानी की सप्लाई सुनिश्चित की जा सके। बुराड़ी, करावल नगर और नरेला विधानसभा क्षेत्र में 280 किलोमीटर लंबी सीवरेज लाइन बिछाई जाएगी।

सीवर लाइन बिछने के बाद 44 अनाधिकृत कॉलोनियों व 14 गांव के करीब 4.17 लाख लोगों को सीवर की समस्या से राहत मिलेगी। करावल नगर में भी सीवर लाइन बिछने से 2.3 लाख लोगों को सीवर की समस्या से राहत मिलेगी। कहा कि पिछली बोर्ड बैठक में फैसला लिया गया था कि सौ फीसदी लेट पेमेंट सरचार्ज माफ किया जाएगा। 31 जनवरी तक पानी के बिल पर लेट पेमेंट सरचार्ज की इस स्कीम को बढ़ा दिया गया है।

सरकार बनाएगी दस नए भूमिगत जलाशय

उप मुख्यमंत्री ने बताया कि केजरीवाल सरकार दिल्ली में दस नए भूमिगत जलाशयों का निर्माण करेगी। इस परियोजना के तहत ओखला स्थित बटला हाउस और अबुल फजल में 2.2 एमजी और 3.7 एमजी क्षमता वाले भूमिगत जलाशयों का निर्माण किया जाएगा। इनके लिए जमीन भी उपलब्ध है।

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