हिमयुग धरती पर एक ऐसा वक्त था, जब यूरोप, एशिया और अमेरिकी महाद्वीपों के कई इलाकों में भारी बर्फ छा गई थी. यहां तक कि गर्मियों में भी यहां बर्फ पिघलती नहीं थी. औसत तापमान 7 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच गया था. तब तमाम जीव-जंतु नष्ट हो गए थे. पूरा फसल चक्र और मौसम बदल गया था. लेकिन चिंता की बात है कि एक बार फिर हिमयुग लौटने के संकेत मिल रहे हैं. अगर ऐसा हुआ तो मौसम का मिजाज खतरनाक तरीके से बदलेगा. तापमान 10 डिग्री नीचे चला जाएगा. कई इलाके अंटार्कटिका बन जाएंगे.
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धरती पर आखिरी बार हिमयुग करीब 20 हजार साल पहले आया था. लेकिन अब वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ऐसे हालात बन रहे हैं कि बहुत जल्द हिमयुग की शुरुआत हो सकती है. अगर ऐसा हुआ तो महासागरों में कई जगह पानी जम जाएगा. तमाम इलाके बर्फ की चादर में लिपट जाएंगे. अगर हम कहें कि कई इलाके अंटार्कटिका बन जाएंगे तो गलत नहीं होगा. यह बेहद चिंता की बात होगी.
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आप सोच रहे होंगे कि ऐसा होगा कैसे? तो बता दें कि तापमान में बढ़ोत्तरी की वजह से तमाम ग्लेशियर पिघल रहे हैं. भारत समेत एशिया, अमेरिका और यूरोप के मानसून को ताकतवर बनाने वाली गल्फ स्ट्रीम जलधारा भी इससे कमजोर हो गई है. रिसर्च में पता चला है कि यह पिछले 1000 साल में सबसे खराब स्थिति में पहुंच गई है. और 2025 से ढहने लगेगी.
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अगर यह धारा विलुप्त हो गई तो विनाशकारी परिणाम होंगे. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इससे उत्तरी अमेरिका, एशिया और यूरोप के कुछ हिस्सों में औसत तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है. इससे पूरे उत्तरी गोलार्ध के अधिकतर देशों में हिमयुग आ सकता है.
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गल्फ स्ट्रीम, मैक्सिको की खाड़ी से निकलने वाली एक शक्तिशाली समुद्री धारा है जो उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की जलवायु को कंट्रोल करती है. इसका गर्म पानी एक प्राकृतिक कन्वेयर बेल्ट के रूप में कार्य करता है, जो भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर गर्मी पहुंचाता है. इसी की बदौलत सभी देशों में मौसम बदलते हैं. गर्मी, सर्दी, बरसात आती है.
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साइंटिस्ट का मानना है कि अगर ये जलधारा बंद हुई तो बर्फीले तूफान आएंगे. बारिश में गंभीर व्यवधान होगा, जिससे फसल चक्र बिगड़ेगा. अकाल की स्थिति भी पैदा हो सकती है. उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट पर समुद्र के जलस्तर में काफी तेज वृद्धि होगी, जो शहरों को डूबोएगी. कुछ ऐसा नजर आएगा जैसा, 2004 की फिल्म ‘द डे आफ्टर टुमॉरो’ में दिखाया गया था.
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द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, गल्फ स्ट्रीम समुद्र में सैकड़ों फीट नीचे मेक्सिको की खाड़ी से पैदा होकर पश्चिमी यूरोप के कई देशों तक सफर करती है. यह एक ऐसी विशालकाय नदी है, जो आंखों से नजर नहीं आती. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2025 से 2095 के बीच गल्फ स्ट्रीम पूरी तरह नष्ट हो जाएगी. अगर वैश्विक कार्बन उत्सर्जन कम नहीं हुआ तो हो सकता है कि 2050 के पहले ऐसी स्थिति आ जाए. हिमयुग उससे पहले भी आ सकता है.
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इसी गर्म जलधारा के कारण ब्रिटेन, फ्रांस, नॉर्वे और डेनमार्क सहित यूरोप के कई बंदरगाह साल भर खुले रहते हैं. अगर ये ढही तो रास्ता बंद हो जाएगा और कारोबार ठप पड़ जाएगा. डेनमार्क के कोपेनहेगन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पीटर डिटलेवसेन ने बताया कि 12000 वर्षों से भी अधिक वक्त से ये रास्ता खुला हुआ है.