बिलासपुर / छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बालोद जिले के एक राजस्व निरीक्षक से ₹2.24 लाख की वेतन वसूली के आदेश को रद्द करते हुए बड़ी राहत दी है। यह वसूली आदेश अपर कलेक्टर, बालोद द्वारा वेतन निर्धारण में त्रुटि के आधार पर जारी किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला, हाईकोर्ट ने माना त्रुटिपूर्ण वसूली

इस आदेश को सत्यनारायण सोनेश्वर, निवासी बालोद, ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय के माध्यम से चुनौती दी थी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि वे तृतीय श्रेणी के कर्मचारी हैं और सुप्रीम कोर्ट के रफीक मसीह बनाम भारत सरकार केस में यह स्पष्ट किया गया है कि इस श्रेणी के कर्मचारियों से अधिक वेतन की वसूली अवैधानिक है।

न्यायमूर्ति विभू दत्त गुरु की टिप्पणी – वसूली असंवैधानिक

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विभू दत्त गुरु की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद कहा कि वसूली आदेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और यह संविधान की भावना का उल्लंघन करता है।

वसूली की गई राशि छह माह में लौटाने का निर्देश

हाईकोर्ट ने 14 जनवरी 2025 को जारी आदेश को रद्द करते हुए स्पष्ट किया कि यदि अब तक कोई राशि वसूली गई है तो उसे छह महीने के भीतर याचिकाकर्ता को वापस लौटाया जाए।

प्रमुख बातें संक्षेप में:

  • वेतन त्रुटि के कारण जारी वसूली आदेश को कोर्ट ने अवैधानिक बताया

  • तृतीय श्रेणी के कर्मचारी से इस प्रकार की वसूली नहीं की जा सकती

  • सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को आधार बनाकर याचिका स्वीकृत

  • वसूली गई राशि भी लौटाई जाएगी

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