बांसवाड़ा. राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में दिल को दहला देने वाला (Heart wrenching incident) मामला सामने आया है. यहां गंभीर रूप से बीमार एक मरीज को जिला अस्पताल ले जा रही एम्बुलेंस (Ambulance) का पहले तो बीच रास्ते में ही डीजल खत्म हो गया.
बाद में मरीज के परिजन बाइक की मदद से डीजल लेकर वहां पहुंचे. लेकिन एम्बुलेंस चालू नहीं हुई. मरीज के परिजनों ने एम्बुलेंस को चालू करने के लिए 1 KM तक धक्का भी मारा. थकहारकर परिवार ने एम्बुलेंस चालक के आगे हाथ फैलाए और दूसरी एम्बुलेंस मंगाने को कहा.
तब कहीं 40 मिनट के बाद दूसरी एम्बुलेंस मौके पर पहुंची. लेकिन जब दूसरी एम्बुलेंस मरीज को अस्पताल लेकर पहुंची तब तक उसकी सांसें थम चुकी थी. अस्पताल में डॉक्टर्स ने मरीज को मृत घोषित कर दिया.
जानकारी के अनुसार राजस्थान में बदहाल चिकित्सा व्यवस्था का यह मामला दो दिन पहले गुरुवार हुआ था. बांसवाड़ा से सटे प्रतापगढ़ जिले के सेलिया इलाके के सूरजपुरा निवासी तेजपाल गणावा (40) अपनी बेटी के ससुराल भानुपरा (घोड़ी तेजपुर) आए थे.
यहां करीब तीन दिन तक वे अपनी बेटी और नाती के साथ रहे. इसी दौरान 23 नवंबर को तेजपाल खेत में खड़े-खड़े गिर गए. तेजपाल की बेटी ने इसकी सूचना उसके पति मुकेश मईड़ा को दी. मुकेश बांसवाड़ा में किराए का कमरा लेकर REET की तैयारी कर रहा था.
पहली एम्बुलेंस ही सवा घंटे बाद आई
उसने सबसे पहला फोन रोगी वाहन 108 को किया और खुद भी बाइक लेकर घर के लिए रवाना हो गया. सुबह 11 बजे हुई इस घटना की सूचना पर मुकेश 12 बजे अपने गांव पहुंच गया था. लेकिन एम्बुलेंस सवा घंटे बाद आई.
एम्बुलेंस पहले घोड़ी तेजपुर पीएचसी पहुंची. वहां ईसीजी मशीन नहीं होने का हवाला देकर स्टाफ ने मरीज के परिजनों को छोटी सरवन सीएचसी जाने को कहा. लेकिन परिवार ने मरीज को सीधे जिला अस्पताल ले जाने का फैसला लिया.
रतलाम रोड पर टोल के आगे डीजल खत्म
एम्बुलेंस मरीज को लेकर रतलाम रोड पर टोल के आगे पहुंची और धक्के लेकर बंद हो गई. पता चला कि डीजल खत्म हो गया है. एम्बुलेंस के चालक ने 5 सौ रुपये देकर मरीज के रिश्तेदार को बाइक से डीजल लेने के लिए भेजा. डीजल लेकर आने में समय लग गया.
लेकिन डीजल डालने के बाद भी एम्बुलेंस चालू नहीं हुई. इस पर मरीज के परिजनों ने करीब एक किलोमीटर तक धक्का लगाकर एम्बुलेंस को चालू करने की कोशिश की. इसके बाद मरीज के परिजनों के कहने पर एम्बुलेंस चालक ने दूसरी एम्बुलेंस बुलाई. लेकिन जब वह मरीज को लेकर अस्पताल पहुंची तब तक उसकी मौत हो चुकी थी.