प्यार एक बेहद खूबसूरत अहसास होता है. इसमें दो लोग एक-दूसरे के पूरक बन जाते हैं. एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं. उसके सुख दुःख के भागी बन जाते हैं. लेकिन जब ये प्यार एक तरफ़ा हो जाता है तो शुरू होती है असली मुसीबत. खासकर जब इस प्यार में कोई सनकी बन जाता है, तब मामला काफी बिगड़ जाता है. ऐसे ही एक सनकी के प्यार का शिकार बनी नताशा नाम की एक महिला. इस महिला को अपनी जिंदगी के आठ साल एक कमरे में बिताने पड़े. सिर्फ इसलिए कि एक सनकी को उससे तब प्यार हो गया जब उसकी उम्र सिर्फ दस साल की थी.
इस महिला को उसके सनकी लवर ने तब किडनैप किया था, जब उसकी उम्र सिर्फ दस साल थी. इतनी कम उम्र में नताशा को प्यार का मतलब भी नहीं पता था. लेकिन उसके सनकी आशिक ने उसका किडनैप कर लिया. पूरे आठ साल नताशा एक कमरे में बंद रही. इस सीक्रेट बेसमेंट के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी. ऑस्ट्रिया की रहने वाली नताशा को मार्च 1998 में किडनैप कर इस बेसमेंट में डाल दिया गया था. यहां उसने अपनी लाइफ के आठ साल बिता दिए.
जवान होने का किया इंतजार
नताशा, जो अब एक राइटर है, उसने अपनी स्टोरी लोगों के साथ शेयर की. इसमें उसने अपने किडनैपिंग पीरियड के दौरान किये गए टॉर्चर को लोगों के साथ शेयर किया. उसने बताया कि उसके सनकी किडनैपर ने उसे आठ साल तक एक कमरे में बंद रखा था. यहां उसके कई गंदे वीडियोज बनाए गए. उसे कई तरह से टॉर्चर किया जाता था. उसे जबरदस्ती गंदी फिल्में दिखाई जाती थी. नताशा ने बताया कि उसका किडनैपर उससे प्यार करता था और वो उसके जवान होने का इन्तजार कर रहा था.
लिखी किताब
नताशा ने आठ साल एक कमरे में बिताए. लेकिन इतने सालों बाद 26 अगस्त 2006 को उसकी किस्मत ने पलटी खाई. उसके किडनैपर ने कमरा लॉक नहीं किया और नताशा को भागने का मौका मिल गया. उसके भागने के गम में उसके किडनैपर ने ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे दी. अपनी जिंदगी के इस सबसे बुरे सपने को नताशा ने अपनी किताब में लिखा है. इस किताब पर एक फिल्म भी बन चुकी है. नताशा की कहानी किसी को भी विचलित कर सकती है. एक सनकी के चक्कर में मासूम बच्ची की जिंदगी बर्बाद हो गई.