दुनिया का वो देश जहां जन्म और मौत दोनों पर है पाबंदी

दुनिया में कई रहस्यमयी जगहें हैं, लेकिन नॉर्वे का आर्कटिक द्वीप “स्वालबार्ड” (Svalbard) अपनी अनोखी पाबंदियों के कारण सबसे अलग है। यहां ना कोई इंसान जन्म ले सकता है और ना ही मर सकता है। सुनने में अजीब लगता है, लेकिन यह सच है — इस द्वीप पर जन्म और मृत्यु दोनों कानूनी रूप से वर्जित हैं।

क्यों नहीं हो सकता जन्म या मृत्यु

स्वालबार्ड में कोई स्थायी अस्पताल या अंतिम संस्कार की व्यवस्था नहीं है।
👉 गर्भवती महिलाओं को 36 सप्ताह पूरे होते ही नॉर्वे के मुख्य शहर ट्रॉम्सो (Tromsø) भेज दिया जाता है।
👉 अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु निकट हो, तो उसे भी द्वीप से बाहर ले जाया जाता है।

यह सख्त नियम द्वीप की नाजुक पारिस्थितिकी और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं। यहां का मौसम अत्यधिक ठंडा और कठोर है, जिससे लाशें सड़ती नहीं, और संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। इसलिए, 1940 के दशक से यहां दफनाने पर भी रोक है।

स्वालबार्ड का रहस्यमयी इतिहास

स्वालबार्ड आर्किपेलागो बारेंट्स सागर (Barents Sea) में स्थित है, जो यूरोप के उत्तरी छोर से लगभग 1000 किलोमीटर दूर है।
यह द्वीपसमूह 1920 की स्वालबार्ड संधि (Svalbard Treaty) के तहत संचालित होता है, जिस पर 40 से अधिक देशों के हस्ताक्षर हैं।

यहां का मुख्य शहर लॉन्गइयरब्येन (Longyearbyen) है, जहां करीब 2500 लोग रहते हैं। इनमें ज्यादातर वैज्ञानिक, खनिक और पर्यटक शामिल हैं।

‘ग्लोबल सीड वैल्ट’ — दुनिया का बीज बैंक

स्वालबार्ड को दुनिया भर में इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि यहां ‘ग्लोबल सीड वैल्ट’ (Global Seed Vault) स्थित है।
यह एक अंडरग्राउंड बीज भंडार है, जिसमें दुनिया भर की 100 करोड़ से ज्यादा फसलों के बीज सुरक्षित रखे गए हैं।
इसे ‘Doomsday Vault’ भी कहा जाता है, ताकि प्राकृतिक आपदा या जलवायु परिवर्तन की स्थिति में फसलों को दोबारा उगाया जा सके।

डिप्रेशन आइलैंड — जहां महीनों सूरज नहीं निकलता

स्वालबार्ड को ‘डिप्रेशन आइलैंड’ भी कहा जाता है।
यहां सर्दियों के महीनों में कई हफ्तों तक सूरज नहीं निकलता, जिससे डिप्रेशन और मानसिक तनाव की समस्या आम है।
इसी कारण यहां जीवन आसान नहीं — और शायद यही वजह है कि जन्म और मृत्यु दोनों को बाहर भेजना बेहतर समझा गया।

अन्य अजीब नियम

  • यहां कुत्ता पालना वर्जित है।

  • प्लास्टिक बैग पूरी तरह प्रतिबंधित हैं।

  • नई कब्रें नहीं बनाई जातीं — पुराने कब्रिस्तानों में अब जगह नहीं है।

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