नई दिल्ली. एनडीए गठबंधन ने सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. आज पहली बैठक संपन्न हो चुकी है. इसके साथ ही मंत्रालयों को लेकर भी आपसी सहमति बनाई जाएगी. मंत्रालयों में एक ऐसा मंत्रालय है, जिस पर कई सहयोगी दलों की नजरें लगी हैं. सूत्र बताते हैं कि कुछ ने अभी से इस मंत्रालय की मांग भी कर दी है. आखिर यह कौन सा मंत्रालय है और इसके लिए क्यों इतनी मांग रहती है? आइए जानें.
किसी भी सरकार में प्रमुख मंत्रालय पीएमओ के अलावा गृह, वित्त और रक्षा मंत्रालय होता है. इसके किचन कैबिनेट भी बोला जाता है. पीएमओ के साथ गठबंधन में ज्यादातर ये मंत्रालय सबसे बड़ी पार्टी अपने पास रखती है. इन मंत्रालयों के अलावा एक मंत्रालय और है जिस पर अभी से गठबंधन के सहयोगी दलों की नजरें टिकी हैं. यह रेल मंत्रालय है. सूत्रों की मानें तो गठबंधन में तीन प्रमुख दलों ने इस मंत्रालय को अपने पास रखने की मंशा व्यक्त कर दी है. इसमें तेलुगू देशम पार्टी, जनता दल (यू) और लोक जनशक्ति पार्टी शामिल है.
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पूर्व में बनी गठबंधन सरकारों में ये मंत्रालय सहयोगी दलों के पास रहा है. ममता बनर्जी, रामविलास पासवान, लालू प्रसाद यादव और नितीश कुमार ने यह मंत्रालय अपने पास रखा है. ज्यादातर बिहार से गठबंधन में शामिल पार्टी के पास ही मंत्रालय रहा है. इस तरह ज्यादा संभावना है कि जेडीयू या लोक जनशक्ति पार्टी के पास यह मंत्रालय जा सकता है.
क्यों रहती है इस मंत्रालय पर नजर
रेलवे के एक्सपर्ट बताते हैं कि यह मंत्रालय ऐसा है जो सीधा लोगों को जोड़ता है. राज्य में नई ट्रेनें चलवाना हो, नई लाइन बिछवानी हो, ट्रेनों में कोच बढ़वाने हों, स्टेशन का डेवलपमेंट करवाना या ट्रेनें का ठहराव देना हो, सभी कम इसी मंत्रालय से हो सकते हैं. इसका लाभ संबंधित राजनीतिक दलों को चुनाव में होता है. इस वजह से पार्टियां रेल मंत्रालय की मांग करती हैं.