रायपुर। श्री महा दिव्य देशम फाउंडेशन द्वारा माना के मंगल भवन में पांच दिवसीय महा सुहृत महा शाक्त यज्ञ अनुष्ठान का पूर्णिमा की रात 23 मई गुरुवार को दुर्गा शांति के साथ समापन हुआ। आखिरी दिन विशेष अनुष्ठान में राज्य के मुखिया मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय धर्मपत्नी कौशल्या देवी साय और परिवार जनों के साथ अनुष्ठान में आधी रात शामिल हुए। पूर्णिमा की रात 11.30 बजे से विशेष यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन पूज्य राजीव रकुल के द्वारा केरला से आए तंत्रियों द्वारा किया गया।
इसमें केरल के दिव्य पद्धति से राजा को शक्ति देने की क्रिया अनुष्ठान की गई। ताकि राजा को शक्ति मिल सके। मुख्यमंत्री साय ने जनकल्याण, लोककल्याण के लिए मां भगवती से प्रार्थना किए। जिससे छत्तीसगढ़ के अंतिम पंक्ति के लोगों तक सरकार की योजना पहुंचे और उनका कल्याण व उत्थान हो। उन्होंने राजीव रकुल जी का आशीर्वाद लिया और आभार प्रकट किया कि उन्होंने सर्व हिंदू समाज और सनातन धर्म के लिए महा यज्ञ का छत्तीसगढ़ में आयोजन किया।
जिससे कुलदेवी, कुलगुरु और पृत को शक्ति मिले। इससे सबका कल्याण हो। भारत विश्व गुरु बनें। आखिरी दिन विशेष अनुष्ठान में संघ के छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश के प्रमुख डॉ. पुर्णेंदु सक्सेना, भाजपा दुर्ग जिला अध्यक्ष जीतेंद्र वर्मा, भाजपा प्रवक्ता, विहिप और बजरंग दल से जुड़े लोग शामिल हुए। आखिरी दिन महा भद्रकाली त्रिष्टूप्पू यज्ञ अनुष्ठान किया गया।
पूज्य राजीव रकुल जी ने बताया कि महातंत्र क्रिया विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो इस योग्य हैं या मुखिया हैं। इससे लोगों को देवी भद्रकाली असीम समुद्धि और आनंद प्रदान करती है, देवी हर स्थिति में अपने सच्चे अनुयायियों की रक्षा करती हैं। देवी भवकाली वीरभद्र को महा विष्णु के क्रोध से बचाती है। यह किसी इच्छित उद्देश्य के लिए किया गया सबसे शक्तिशाली अनुष्ठान है।
मूल ऊर्जा को मजबूत बनाता है और उपासकों को सर्वोच्च कुल शक्ति प्रदान करता है। दुर्बल मंत्रवाद और सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने वाला है। देवी असुर, गंधर्व, राक्षस, किन्नर, प्रेत और पिशाच द्वारा किए गए किसी भी नुकसान से सदैव सुरक्षा प्रदान करती हैं। देवी अपने सच्चे भक्तों के लिए सबसे शत्तिशाली कवच बन जाती हैं।
इसके बाद महा त्रिकाल देवी पूजा की गई। सात्विक, राजसिक और तामसिक भाव के आहवान के साथ महादेवी को त्रिगुणात्मिका के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है। यह पूजा व्यक्ति के भीतर और संपूर्ण प्रकृति में मौजूद त्रिगणों में सामंजस्य स्थापित करने में सहायता करता है। प्रकृतिः की सहायता से, संतुलन की स्थिति में महायज्ञ शुरू करने में यह संतुलन महत्वपूर्ण है।
आग्नेय त्रिष्टतुप्पू पूजा किया है। फिर शांति दुर्गा विशेष पूजा किया गया। पूज्य राजीव रकुल जी के अनुसार जब शिव और विष्णु गण आपस में संघर्षरत हुए तो संपूर्ण विश्व त्रस्त हो गया। बा देव ने प्रार्थना की और हस्तक्षेप कर, बुद्ध को रोकने के लिए आदि शक्ति का आह्वान किया। आदि पराशक्ति ने शांति दुर्गा के रूप में एक हाथ में भगवान शिव और दूसरे हाथ में भगवान विष्णु को चारित कर उन्हें तथा उनके गणों के बीच संघर्ष विराम कराया।
देवी एकता का प्रतिनिधित्व करती है और अद्वैत की मां है, जो व्यक्ति को यह समझाती है कि संपूर्ण परमात्मा चैतन्य एक है और इसे केवल हमारे आंतरिक अस्तित्व को शांतिपूर्ण बनाकर ही महसूस किया जा सकता है। उसके बाद आह्वान पूजा किया है। देर रात गुप्त आवाह्नम पूजा की गई। यह मां भगवती की विशेष अनुष्ठान पूजा है जो शक्ति देती है।
नृत्य से की गई मां भगवती की आराधना
गुरु विचित्रानंद स्वैन और रुद्राक्ष फाउंडेशन को प्रणाम, जो महादेवी की महा माया को प्रदर्शित करने के लिए विश्व प्रसिद्ध ओडिसी नृत्य प्रस्तुत किया है। नृत्य के माध्यम से माता की विशेष अराधना की गई। उसके अलावा पांच इंद्रियो को उत्तेजित करने और यज्ञ शाला के भीतर कंपन की उच्च स्थिति में देवी का अह्वान करने के लिए केरल पंच वाद्यम का प्रदर्शन करते समय चोट्टानिक्कारा सत्यन मरार ने मां की आराधना की।
श्री महा दिव्य देशम का उद्देश्य है, कि हम मंदिर के पुजारियों और उनके परिवारों, मंदिर के कलाकारों, कारीगरी और मूर्तिकारों को बेहतर जीवनयापन करने और काम करने की स्थिती प्रदान करके उनकी सहायता के लिए समर्पित है। अपनी पहल के माध्यम से हमारा लक्ष्य हमारी प्राचीन संस्कृति के तार को संरक्षित एवं पुनजीवित करना है एवं एक ऐसे वातावरण का निर्माण करता है, जो हमारी पावन व दिव्य आध्यात्मिक विरासत के विभिन्न अंगों, पवित्र मूल्यों और अनुष्ठानों को बढ़ावा देता है।