प्राचीन मिस्र के लोग अपने सांसारिक जीवन के समान ही परलोक में विश्वास करते थे. यही वजह थी कि उनकी अंतिम संस्कार की रस्में उनकी लाइफस्टाइल की तरह की खास हुआ करती थी. ममीकरण में यात्रा के लिए शरीर को सुरक्षित रखा जाता था, और कब्रों को आराम और समृद्धि के लिए सामानों से भरा जाता था. इनमें कब्र से लेकर पिरामिड सभी की अपनी अपनी अहमियत हुआ करती थी.
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मिस्र की पुरानी सभ्यता के बारे में सुनते ही हमें डरावनी ममी और सुंदर पिरामिडों की याद आती है. पर ममी से संबंधी कम ही बातें आम लोग जानते हैं. मिस्र के दफ़न की रस्में धर्म, संस्कृति और रहस्य का एक चौंकाने वाला संयोग हैं. ये रीति-रिवाज़ सिर्फ़ शवों को सुरक्षित रखने के बारे में नहीं थे, बल्कि मृत्यु के बाद के जीवन में सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने के बारे में थे. इसमें ममीकरण में जटिल प्रक्रियाएं शामिल थीं. ये पूरी रस्में मिस्र की सभ्यता को ही दुनिया में बहुत ही अलग और खास तरह का बना दती है.
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मिस्र अमीरों और आम लोगों को अलग तरह से दफनाया जाता था, कुछ बातें पूरी तरह से सबमें कायम थीं. फिरौन के पास भव्य पिरामिड थे, जबकि आम लोगों के पास सरल कब्रें थीं. कब्रों में भी अमीरों और गरीबों के बीचका अंतर साफ झलकता था. पिरामिड शक्ति और देवताओं से जुड़ाव का प्रतीक थे, जबकि अंत्येष्टि ग्रंथ मार्गदर्शन और सुरक्षा प्रदान करते थे.
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प्राचीन मिस्र के लोगों में मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में दृढ़ विश्वास था. इन विश्वासों ने उनके दफन अनुष्ठानों को आकार दिया, जिससे मृतक के परलोक में सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित हुआ.. मिस्र के लोग परलोक में विश्वास करते थे, जहां मृतक अपने सांसारिक जीवन के समान जीवन जीते थे और मृतक शाश्वत शांति का आनंद ले सकता था. यह साधारण सी कब्र से लेकर पिरामिड तक सभी में झलकता है.
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ममीकरण मिस्र के दफन अनुष्ठानों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था. यह शरीर को परलोक के लिए सुरक्षित रखता था, जिससे यह सुनिश्चित होता था कि मृतक इसका फिर से इस्तेमाल कर सके. इस काम को पूरा होने में लगभग 70 दिन लगते थे. इसमें अंदर के अंगों को निकाल कर मर्तबान में रख लिया जाता था. माना जाता था कि हर एक मर्तबान की एक अलग देवता रक्षा करता है. दिल को शरीर में ही छोड़ दिया जाता था, तो वहीं मस्तिष्क को निकाल कर फेंक दिया जाता था.
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मिस्र के लोगों का मानना था कि मृतकों को परलोक में अपनी सांसारिक संपत्ति की ज़रूरत होती है. ऐशो आराम सुनिश्चित करने के लिए कब्रों को सामानों से भर दिया जाता था, जिनमें फर्नीचर, गहने, भोजन और कपड़े जैसी चीजें होती थीं. धनी लोगों की अधिक बड़ी कब्रें होती थीं, जिन्हें अक्सर जटिल नक्काशी और चित्रों से सजाया जाता था.
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मिस्र के दफ़न अनुष्ठानों में पुजारियों की अहम भूमिका थी. वे मरने वाले की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए समारोह करते थे. मृतक की इंद्रियों को वापस लाने के लिए मुंह खोलने की रस्म निभाई जाती थी. पुजारी मृतक को बुरी आत्माओं से बचाने के लिए मंत्र और प्रार्थनाएं पढ़ते थे.
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मृतक को परलोक में जीवित रखने के लिए भोजन और पेय का प्रसाद चढ़ाया जाता था.उनके सम्मान में शोक मनाने वाले जुलूसों में संगीतकार और नर्तक शामिल होते थे. उनक नाम कब्र पर अंकित किया जाता था ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें याद रखा जाए और वे प्रसाद प्राप्त कर सकें.