मुंबईः उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान का समर्थन किया है. सामना में शिवसेना (यूबीटी) ने कहा है, ‘2024 में बीजेपी से लड़ने के लिए विपक्ष का एकजुट होना बेहद जरूरी है और कांग्रेस को इसकी पहल करनी चाहिए. अगर सभी विपक्ष दल समय पर सतर्क नहीं हुए और एक साथ नहीं आए तो 2024 का लोकसभा चुनाव देश का आखिरी चुनाव साबित होगा.

इस पृष्ठभूमि पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार द्वारा कांग्रेस से की गई अपील महत्वपूर्ण है.’ अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना (यूबीटी) ने लिखा है, ‘भारतीय जनता पार्टी से लड़ना तानाशाही प्रवृत्ति से लड़ने जैसा है. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव भाजपा से लड़ने के लिए स्वतंत्र चूल्हे जलाकर बैठे हैं. लेकिन ऐसे चूल्हे का कोई मतलब नहीं है.

कांग्रेस से द्वेष करके भाजपा की मौजूदा तानाशाही से कैसे लड़ेंगे? इस पहेली को पहले सुलझाना होगा. सभी को भाजपा के विरुद्ध लड़ना है, लेकिन मौजूदा भाजपा से अलग संसार और चूल्हा लगाकर लड़ा नहीं जा सकता है. विपक्षियों की एकता की मुट्ठी बनाए बिना लड़ना संभव नहीं है. ’उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा है, ‘वर्ष 2024 के लिए प्रधानमंत्री का उम्मीदवार कौन होगा? यह बाद में भी तय किया जा सकता है, लेकिन पहले एक टेबल पर बैठकर चर्चा होनी जरूरी है और इसके लिए कांग्रेस के पहल करने में कोई दिक्कत नहीं है.

राहुल गांधी का नेतृत्व भारत जोड़ो यात्रा से मजबूत और परिपक्व हुआ है. अगर विपक्ष एकजुट हो जाए तो वर्ष 2024 में भाजपा को पानी पिलाना आसानी से संभव है. नीतिश के इस आह्वान पर अब कांग्रेस को आगे आना चाहिए. आज की भाजपा कल की कांग्रेस हो गई है. उस पार्टी के मूल विचार, संस्कार और संस्कृति इसीलिए बारह के भाव में चले गए हैं. पैसा और सत्ता की मस्ती यही वर्तमान शासकों के राजनीतिक हथियार बन गए हैं और विरोध करनेवालों के सिर उड़ाना, उनका तत्वज्ञान है.’

सामना के जरिए उद्धव गुट की शिवसेना ने विपक्षी दलों से एकता की अपील करते हुए कहा है, ‘लोकसभा चुनाव को बमुश्किल एक साल का समय बचा है और यह समय देश का भविष्य तय करने का है. देश में एक प्रकार की मनमानी चल रही है. तोड़ो, फोड़ो और राज करो की नीति अपनाई जा रही है. महाराष्ट्र में शिवसेना को तोड़ा और बागी गुट को असली शिवसेना ठहराकर उन्हें धनुष-बाण चिह्न बेच दिया.

विपक्ष को अपने अहंकार को त्याग कर देश और लोकतंत्र को बचाने के लिए एक साथ आना चाहिए. विपक्षी एकता का पेच जल्द से जल्द सुलझाना चाहिए. ढोंगी राष्ट्रवाद और कट्टरता का जहर फैलाकर चुनाव जीतने वालों के खिलाफ सभी विपक्षी दलों का एकजुट हो जाना ही भाजपा की पाखंडी देशभक्ति का एकमात्र जवाब होगा! अन्यथा विपक्षियों का आक्रंद निष्प्रभावी साबित हो जाएगा.’

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *