Sweden kiruna town relocation: स्वीडन के उत्तर में स्थित किरुना सिटी को 2026 तक पूरा खाली करा दिया जाएगा. यहां अयस्क खदान ने बिल्डिंगों को लोगों के रहने के लिए असुरक्षित बना दिया है. यही वजह है कि यहां रहने वाले लोगों को नई जगह पर बसाया जा रहा है. लेकिन हर कोई इस कदम से खुश नहीं है. सालों के खनन के कारण इस शहर की जमीन धंस रही है, जिससे एक स्कूल और एक अस्पताल सहित अन्य इमारतों को नुकसान पहुंचा है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, आर्कटिक सर्कल से 125 मील ऊपर स्थित 18 हजार लोगों के शहर किरुना में मूल्यवान खनिज पाए गए हैं. इस साल की शुरुआत में यह घोषणा की गई थी कि किरुना में रेयर अर्थ एलिमेंट्स का सबसे बड़ा ज्ञात भंडार मिला है, जिनका यूज इलेक्ट्रिक कार बैटरी और विंड टरबाइन बनाने के लिए किया जाता है.
देश के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर एब्बा बुश ने कहा कि स्वीडन ‘वास्तव में एक सोने की खान है’ और यूरोप से ‘सबक सीखने’ और गैस के लिए एक ही देश पर निर्भर न रहने का आग्रह किया जैसा कि कई देशों ने रूस के साथ किया है.
किरुना का भाग्य स्वीडिश राज्य के स्वामित्व वाली कंपनी एलएबी द्वारा संचालित इसकी खदान के साथ जुड़ा हुआ है. इसकी स्थापना 1900 में हुई थी. यह खदान दुनिया की सबसे बड़ी लौह खदान है और यूरोपीय यूनियन की 80% आपूर्ति का उत्पादन करती है.
अत्यधिक खनन से जमीन पर पड़ा बुरा असर
ऐसा प्रतीत होता है कि किरुना अपनी ही खनन सफलता का शिकार बन गया है, क्योंकि जहां हर दिन छह एफिल टावर्स मूल्य का अयस्क खदान से निकाला जाता है, वहीं इससे इसकी पश्चिमी सीमा पर जमीन पर बुरा असर पड़ा है, जो निवासियों को जोखिम में डाल रहा है. रिपोर्टों के अनुसार, अस्पताल में दरारें पाई गई हैं और एक स्थानीय स्कूल अब अपने लोगों के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता है.