भिलाई /अनुपपुर [न्यूज़ टी 20] | इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय द्वारा आज 12 अप्रैल 2022, पूर्वाह्न 10:45 (AM) बजे से “स्वच्छ, स्वस्थ, स्वदेशी, स्वावलंबी, स्वराज से आत्मनिर्भर भारत – समृद्ध युवा के संदर्भ में भगवान बिरसा मुंडा तकनीकी सत्र” का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री प्रफुल्ल अकांत जी, राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विशेष अतिथि श्री नन्द कुमार साय जी, पूर्व अध्यक्ष, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग तथा सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री गिरीश प्रभुणे थे। अध्यक्षता माननीय प्रो .श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी, कुलपति तथा कार्यक्रम आयोजक आचार्य (डॉ) विकास सिंह (अधिष्ठाता संगणक विज्ञान) थे। कार्यक्रम में सैकड़ों युवा तथा छात्रों ने भाग लिया।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री प्रफुल्ल अकांत ने जनजातीय उद्यमिता एवं स्वावलंबन भारत” के संदर्भ में छात्रों-युवाओं को स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से उद्यमिता के अवसर, जनजातीय परिक्षेत्र में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता, युवाशक्ति की विपुलता और जनजातीय युवाओं में अंतर्निहित उद्यमकौशल के पर्याप्त क्षमता, उभरते हुए नए अवसरों में स्वरोज़गार के अवसरों का लाभ उठाने के लिए मार्गदर्शन के साथ हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण, घरेलू उत्पादों तथा क्राफ्ट उद्यमों से ग्रामीण अर्थव्यवथा, सूक्ष्म उद्योग, लघु उद्योग, कृषि और वन-वनोपज-वनौषधि आयुष आधारित उद्यम, जनजातीय उद्यमिता में रोजगार सृजन के आयामों पर बौद्धिक होगा। युवाओं, महिलाओं, ग्रामीणों, दूरस्थ और जनजातीय क्षेत्रों में उद्यमिता को प्रोत्साहन देनेवाला वातावरण का निर्माण के लिए नवाचार तथा नवोन्मेषी तकनीक से उद्यमिता के अवसरों के लिए युवा तथा छात्रों के लिए मार्गदर्शन दिया।


श्री प्रफुल्ल अकांत ने युवाओं से आह्वान किया कि देश का मालिक बने, नौकरी की ओर भागकर नौकर बनने के बजाय स्व उद्यम का मालिक बने।
श्री प्रफुल्ल अकांत ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2022-23 को “अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष” के रूप में मनाया जाना देश को लिए सवर्णिम साबित होगा। ग्रामीण भारत में छोटे-छोटे उद्यमों को शुरू कर भारत के युवा समर्थ तथा सक्षम बन सकते है। भारत का महाशक्ति बनना नियति नहीं है बल्कि भारत विश्वगुरु बनकर विश्वशांति तथा विश्व कल्याण का मार्ग परस्त करेगा। भारत को पिछले समय में आक्रांताओ द्वारा गलत परिभाषित किया गया। कृषि प्रधान की व्याख्या के अलावा वास्तव में “भारत उद्योग प्रधान देश” तभी तो सैकड़ों वर्ष पहले भारत उद्योग प्रधान देश होने के कारण विश्व की जीडीपी का दो तिहाई व्यवसाय के साथ कपड़ा उद्योग, मसाला उद्योग, औषधि सहित अनेक क्षेत्र में विश्वगुरु रहा है। रोज़गार को सही परिभाषित कर युवाओं को सही मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
श्री प्रफुल्ल अकांत ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए आगे कहा कि स्वराज, स्वावलंबन, स्वदेशी के संदर्भ में प्रोजेक्ट के अंतर्गत संचालित इन पाठ्यक्रमों को भारत के सभी विश्वविद्यालय में शुरू होने चाहिए। राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अपने आधारभूत दायित्व के साथ उद्यमिता विकास के इस परियोजना को क्रियान्वित कर रहा है। समर्थ एवं आत्मनिर्भर_भारत के लिए स्वदेशी तथा उद्यमिता निर्माण को लेकर कार्य शुरू कर दिया है। पाठ्यक्रम में स्वदेशी अपनाने युवा अपने गृह शहर/गांव में अपने उद्यम स्थापित करवाने, स्वदेशी एवं स्थानीय बाजारों और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया गया है जो कि समय की जरुरत के अनुसार है।


कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कुलपति प्रो श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने बताया कि प्रोजेक्ट के अंतर्गत संचालित पाठ्यक्रमों मे प्रवेश लेकर अत्याधुनिक कोर्स के माध्यम से अपने कैरियर को संवार सकते हैं, इसमें टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, रबर, प्लास्टिक, लेदर, हार्डवेयर, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स सहित 45 विभिन्न सेक्टर के छोटे बड़े मध्यम आकार के उद्यम को स्थापित करने का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। कोर्स के दौरान उन्हें प्रक्रिया पूर्ण कर उद्यम स्थापित करने के समस्त व्यवहारिक एवं प्रायोगिक तथ्यों से प्रशिक्षित कर दिया जाएगा। पाठ्यक्रम का उद्देश्य इस क्षेत्र के युवाओं को स्वरोजगार एवं अपना स्वयं का उद्यम प्रारंभ करने का अवसर दिलाना है। उद्यमिता शिक्षा आपके द्वार तक पहुंचाने के लिए, सरल माध्यम से उपलब्ध कराने, आपकी भाषा में आपको उद्यमी बनाने के उद्देश्य से यह शुरू किया गया है। यह बेहद महत्वपूर्ण कार्यक्रम है।


प्रो विकास सिंह ने बताया की युवा मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन और रासायनिक उत्पाद, कृषि उपकरण और मशीनरी निर्माता, इलेक्ट्रिकल मशीनरी & पार्ट्स, मशीनरी और पार्ट्स इलेक्ट्रिकल सामानों को छोड़कर, एफपीसी एग्रो / हॉर्टिकल्चर सेक्टर, बेसिक मेटल इंडस्ट्रीज, हार्डवेयर, हैंडीक्राफ्ट सेक्टर, ड्रिंक्स एंड बेवरेज सेक्टर, बम्बू वर्क सेक्टर, ग्लास वर्क सेक्टर, पेपर प्रोडक्ट्स और प्रिंटिंग-स्टेशनरी प्रोडक्ट्स, कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स, हेल्थकेयर उत्पाद, होजरी और गारमेंट्स – लकड़ी उत्पाद-कपड़ा क्षेत्र, सूती वस्त्र, खेल वस्तुएं, पूजा उत्पाद, परिवहन उपकरण और पार्ट्स-पर्यटन और यात्रा क्षेत्र, रबड़ और प्लास्टिक उत्पाद, आयुष उत्पाद, गैर-धातु खनिज उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र, मसाले और खाद्य उत्पाद खाने के लिए तैयार, विविध उद्यमिता, अन्य सेवाएँ और उत्पाद, मरम्मत सेवाएँ इत्यादि। स्वदेशी उत्पादों का उत्पादन जिसे स्वदेशी उद्योगों / स्वदेशी उद्यम के माध्यम से मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स, एग्रो मशीनरी, फूड प्रोसेसिंग से लेकर सोलर एनर्जी तक के स्टार्टअप शुरू कर सकेंगे तथा मध्य प्रदेश में उद्यमिता से युवाओं को आत्मनिर्भर होने की अपार सम्भावना है तथा लाखों युवाओं को स्वरोजगार मिलेगा।
विशेष अतिथि श्री नन्द कुमार साय ने बताया कि वन- वनौपज-वनौषधि में अपार सम्भावनाए है, भारतीय ज्ञान परम्परा में ऐसे परंपरगत ज्ञान-विज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।


विशेष अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री गिरीश प्रभुणे ने बताया कि विश्वविद्यालय तथा पाठशाला आपस में मिलकर ऐसे पाठयक्रम तैयार करें जो युवाओं को व्यवहार में उद्यमिता से जोड़े तथा जनजातीय शिल्प, वुडन क्राफ़्ट, मेटल क्राफ़्ट, क्ले क्राफ़्ट सहित महत्वपूर्ण उद्यमिता क्षेत्र को कक्षाओं में पढ़ाया जाना है।
कार्यक्रम के अंत में एमईआईटीवाय प्रोजेक्ट के क्षेत्रीय समन्वयक श्री मोरध्वज पैकरा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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