
भारत में बच्चे पालना महंगा, लेकिन यहां मिलती है सरकारी मदद
भारत में बच्चे पैदा करना एक बड़ी जिम्मेदारी है। कपल्स तब ही प्लान करते हैं जब वे आर्थिक रूप से सक्षम हों। लेकिन साउथ कोरिया में सरकार खुद माता-पिता का पूरा खर्च उठाती है। यहां प्रेग्नेंसी कन्फर्म होते ही सरकार से कैश ग्रांट और सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाती हैं, जो बच्चे के 8 साल तक जारी रहती हैं।
जन्म दर घटने से शुरू हुई पॉलिसी
साउथ कोरिया की यह स्कीम घटती जन्म दर (0.7) से निपटने के लिए शुरू की गई। सरकार ने 2006 से चाइल्डकेयर सपोर्ट देना शुरू किया था और 2025 में इसे और मजबूत कर दिया है।

प्रेग्नेंसी से लेकर डिलीवरी तक मिलते हैं फायदे
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प्रेग्नेंसी कन्फर्म होते ही 10 लाख कोरियन वॉन (करीब ₹63,000) मेडिकल चेकअप और दवाइयों के लिए।
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ट्रांसपोर्ट के लिए 7 लाख वॉन (₹44,000) का विशेष ग्रांट।
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बच्चे के जन्म पर 20 लाख वॉन (₹1.26 लाख) का ‘फर्स्ट एनकाउंटर वाउचर’।
👉 दूसरे या तीसरे बच्चे पर यह रकम और बढ़ जाती है।
हर महीने मिलता है पेरेंटल अलाउंस
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जन्म के बाद पहले साल हर महीने 10 लाख वॉन (₹63,000) पेरेंटल अलाउंस।
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यह अलाउंस अब बढ़कर 25 लाख वॉन प्रति माह हो चुका है।
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दूसरे साल से यह रकम आधी हो जाती है यानी 5 लाख वॉन (₹31,000)।
8 साल तक मिलता है चाइल्ड अलाउंस
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बच्चे की उम्र 2 से 8 साल होने तक हर महीने 10 लाख वॉन (₹12,600) का चाइल्ड अलाउंस।
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2025 से यह सुविधा 13 साल तक बढ़ाने की योजना है।
👉 कुल मिलाकर एक बच्चे पर सरकार लगभग 3 करोड़ वॉन (करीब ₹19 लाख) खर्च करती है।
हाउसिंग और एजुकेशन में भी मदद
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सियोल में नए पैरेंट्स को सस्ते अपार्टमेंट, जहां किराया सिर्फ ₹1,800 (22 डॉलर) मासिक।
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3-5 साल के बच्चों के लिए फ्री प्री-स्कूल की सुविधा, जिसे 2027 तक लागू किया जाएगा।
